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गाजीपुर बार्डर पर किसान और पुलिस फिर से भिड़ गए

किसान नेताओं सहित नौ के खिलाफ पुलिस की लुकआउट नोटिस और पासपोर्ट जब्त करेगी

दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली में हिंसा भड़कने के बाद कृषि कानूनों को निरस्त करने के मुद्दे पर हो रहे किसानों का आंदोलन तिराड़ पड़ गई है। भारतीय किसान यूनियन (भानू) संगठन ने आंदोलन से साइड ट्रैक होने के बाद करीबन 57 दिनों के बाद दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला सीमा फिर से यातायात के लिए फिर से खोल दी गई है। बागपत हाईवे पर आंदोलनकारी किसानों को पुलिस ने खदेड़ दिया। हालांकि सिंघु और गाजीपुर बार्डर पर पुलिस की जबरन कार्रवाई के चलते लगभग दो महीने के के बाद किसान और पुलिस फिर से आमने-सामने आ गई है। दूसरी ओर दिल्ली में हिंसा की जांच कर रही पुलिस ने किसान नेताओं सहित छह लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किए और उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए।

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगभग 60 दिनों से शांतिपूर्वक चल रहा था। हालांकि, दिल्ली में गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद 20 आंदोलनकारी किसान संगठन अलग हो गए हैं। भारतीय किसान संघ (भानू) द्वारा आंदोलन को समर्थन वापस लेने की घोषणा के बाद दिल्ली- नोएडा की चिल्ला सीमा लगभग 57 दिन के बाद यातायात के लिए फिर से खोल दी गई है। इस सीमा से आंदोलनकारी किसानों ने अपना टेंट हटा लिया है।

किसानों ने सहमति से धरना समाप्त करने का पुलिस का दावा

दूसरी ओर बागपत में बुधवार देर रात पुलिस ने धरना स्थल से किसानों पर लाठी चार्ज कर उनके टेंट उखाड़ दिए और उन्हें खदेड़ दिया। स्थानीय किसान नेताओं ने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें जबरन धरना स्थल से हटा दिया, जबकि पुलिस ने कहा कि किसानों पर कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया। सभी की सहमति से धरना को समाप्त कर दिया गया है। किसानों को समझाने पर वे शांतिपूर्वक घर चले गए हैं।

उत्तर प्रदेश में आंदोलन खत्म करने का राज्य सरकार का आदेश

किसानों के आंदोलन को कमजोर होते देखकर उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी तुरंत किसानों को गाजीपुर सीमा पर धारा 14 लागू करके धरना स्थल को खाली करने का आदेश दिया है। गाजीपुर सीमा को खाली करने के लिए पुलिस कड़ी मेहनत कर रही है। सरकार ने यहां बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी है और उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया। पुलिस ने दोनों तरफ से सड़क पर बैरिकेडिंग कर दी। सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस और तंत्र को आदेश दिया है कि वह राज्य भर से किसान आंदोलन को समाप्त कर दे। गाजीपुर हाईवे पर स्थानीय लोगों ने दिल्ली हिंसा के बाद किसानों के आंदोलन का विरोध किया और पुलिस से धरना स्थल को खाली करने की अपील करते हुए नारे लगाए।

राकेश टिकैत ने आंदोलन जारी रखने की घोषणा की

दूसरी ओर किसान नेता राकेश टिकैत ने घोषणा की कि किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। राकेश टिकैत ने कहा हम अपना धरना जारी रखेंगे और धरना स्थल को तब तक खाली नहीं करेंगे जब तक सरकार के साथ बातचीत नहीं हो जाती। सिस्टम ने पानी और बिजली की आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं को हटा दिया है। राकेश टिकैत ने तंत्र के कदमके बाद उपवास की घोषणा की। उन्होंने कहा हमें सताया जा रहा है। अगर कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया गया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। भावुक हो गए राकेश टिकैत ने रोते हुए कहा कि किसानों को मारने की कोशिश की जा रही है। मैं किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा। इसके अलावा राकेश टिकैत ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में 26 जनवरी की हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के कॉल रिकॉर्ड जारी करने की मांग की।

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