धर्म- समाज

भगवान शंकर हर हाल में भक्तों को निहाल करने वाले देवो के देव महादेव

सावन पवित्र मास माना गया है। सावन भोलेनाथ की पूजा अर्चना का महत्वपूर्ण मास है। आज सावन का दूसरा सोमवार है। पूरा विश्व शिव मग्न है। भगवान शंकर शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव है। महिलाएं सजधज कर नए वस्त्र धारण कर भगवान शिव धाम में पूजा अर्चना करने उमड रही है। भगवान की पूजा महिला और पुरूष और बच्चे किसी भी प्रकार से कर सकते है। इसका विधान है। शीघ्र फलदायी होती है।महीना पूर्ण होते होते पूजा का फल भी मिल जाता है। अपने भक्तों को हर हाल में निहाल करने वाले देव भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। शिव धाम में महिलाएं शिवलिंग की पूजा अर्चना कर अपने परिवार की खुशहाली की कामना कर परिवार के लिए मंगल भावना के साथ मंदिरों की चौखट चढ़ रही है। भगवान हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करने वाले देव है। इसलिए तो देवो के देव महादेव के नाम से पूरा विश्व पूजता है। पूरा संसार शिवमय है। सुखी गृहस्थ जीवन के लिए महिलाएं और पुरूष शिव के जाप कर आशीर्वाद ग्रहण करते है।

महादेव को प्रसन्न करने के लिए अनेकों व्रत एवं उपवास है। जिससे भोग ,मोक्ष सुलभ है लेकिन वेदवक्ता महर्षियो ने उपवास महत्वपूर्ण कहे है। भारत मे 12 तीर्थस्थलों पर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। भारत के विभिन्न प्रदेशों में महादेव शिव के 12 ज्योतिर्लिंग प्राचीनकाल से स्थापित है। इसमें सोमनाथ,मल्लिकार्जुन, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, वैद्यनाथ,रामेश्वरम,धरसमेश्वरम,त्यम्बकेश्वरम,नागेश्वर और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत की सुरक्षा करते है। भगवान शिव सृष्टि के रचियता है। हम सब इनकी रचना है। इससे ऊपर कोई कल्पना नही है। विश्वनाथ मंदिर काशी और कैलाश स्थित मंदिर शिव के प्रिय स्थान माने जाते है। भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व रामेश्वरम में शिव की पूजा की थी। स्वयं रावण शिव का भक्त था।प्राचीनकाल से भगवान भोले की पूजा देश के कोने कोने में प्रचलित है। दक्षिण में पंचतत्व के सम्मिलित रूपो का पंचलिंगो का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है। शिव पूजा देवताओं में भी प्रचलित है। असुर भी भक्तिभाव से भगवान शिव की पूजा करते है। सभी महिलाएं और पुरूष प्रचलित रूपो से भगवान महादेव की पूजा करते है।शिव पूजा के लिए प्राचीन ग्रन्थ पुराण में शास्त्रोक्त वर्णन किया गया है।

भगवान शंकर परम् कल्याणकारी देव माने जाते है। वे इतने भोले और कारुणिक है कि किसी भी विधान से उनकी पूजा की जाए। सभी विधियां उन्हें प्रिय है।लघु से लघुतम पूजन विधान से देवो के देव महादेव है। शास्त्रों में उनके पूजन की जितनी विधियां पाई जाती है उतनी और कोई देवता की नही मिलती है। महाकालेश्वर अपने आशीर्वाद से पितृ दोष निवारण करते है। आज दूसरे सोमवार को महाकालेश्वर के जाप से हर मनोकामना पूर्ण होती है। भगवान शिव की आराधना का मास श्रावण मास है। भारत सहित अन्य देशों में इनकी विविध रूपो में इनकी आराधना की जाती है। सोलह सोमवार के उपवास का युवतियों में बड़ा क्रेज है।

भगवान त्रिशूल धारण करते है जो इस बात का प्रतीक है कि जिसमे सत,रज और तम गुणों को जीत लिया वही शिव है।दैहिक,दैविक और भौतिक तापो से मुक्ति शिव का त्रिशूल ही दिला सकता है। इसलिए त्रिशूल की पूजा करते है।भगवान शंकर में सांपो की माला उनकी कुंडलीनी शक्ति का धोतक है। भगवान शिव एक वाहन है। आध्यात्मिक जगत में नंदी पशुत्व का प्रतीक है,और पशुता पर विजय पाना शिवतत्त्व है। अर्थात जिसने अपने भीतर की पशु प्रवृत्ति पर विजय पा ली है। समझिए वही शिव सदृश्य हो गया। यह बैल चार पैरों से चलता है यह चार पैर मानव जीवन के चार पुरुषार्थ है जिन्हें हम कर्म,अर्थ,काम और मोक्ष के नाम से जानते है। समाधि मुद्रा में भगवान भोलेनाथ बाघम्बर के आसन पर बैठे है।जो कि ज्ञान का प्रतीक है। भगवान शंकर त्याग की मूर्ति शिव की आराधना कर मनोवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है।उदयपुर सहित शिवालयों महादेव के जयकारों से वातावरण भक्तिमय बन गया है। गोगुन्दा,सायरा और कोटड़ा क्षेत्र के शिवालयों में धूम देखने को मिल रही है।

( कांतिलाल मांडोत)

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