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सूरत: कपड़ा बाजार से जुड़े 1 लाख से ज्यादा श्रमिकों का वतन में पलायन

कपड़ा बाजार पर कोरोना और श्रमिकों के पलायन की दोहरी मार पड़ी है। कपड़ा बाजार में कटिंग, फोल्डिंग, पार्सल पैकिंग और डिस्पेचिंग के कामकाज से जुड़े कारीगर बड़ी संख्या में होली-धुलेटी से पहले घर चले गए हैं। कपड़ा बाजार से अनुमानित 3.50 लाख कारीगर बाजार से जुड़े हैं, जिनमें से एक लाख से अधिक कारीगर सूरत छोड़ चुके हैं।

सूरत में कोरोना में संक्रमण के बाद विशेष रूप से बाजार क्षेत्र में प्रशासन द्वारा दिशानिर्देशों के सख्त कार्यान्वयन के बाद कारीगरों और श्रमिक वर्ग के बीच एक तरह का डर घर कर गया और वे घर जाने लगे।

कपड़ा बाजार में यूपी-बिहार के सबसे ज्यादा श्रमिक कारीगर हैं। कारीगर पिछले वर्ष कोरोना के कारण वतन नहीं जा सके थे और शादी भी नहीं हो पायी थी। इस साल 15 अप्रैल के बाद शादी के मुहुर्त होने कारण कारीगर वर्ग घर चला गया है। हालांकि एक और कारण यह है कि सूरत में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण लॉकडाउन के डर से श्रमिक वतन पलायन कर रहे है।

होली-धुलेटी के बाद भी श्रमिक वर्ग अपने गृहनगर यूपी बिहार के लिए निजी लक्जरी बसों में जा रहा है। सूरत में पांडेसरा, सहारा दरवाजा और सूरत-बारडोली रोड पर पारसी पंचायत के पास से लक्जरी बसें चलती हैं। ट्रेनों में टिकट उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए कारीगर वर्ग अधिक पैसा खर्च करने के बाद भी वतन जा रहे हैं।
यूपी में अप्रैल में होने वाले पंचायत चुनावों के कारण उम्मीदवार कारीगरों और श्रमिकों को बुला रहे हैं। यूपी में 25 अप्रैल के आसपास पंचायत चुनाव हो रहे हैं और इस वजह से उम्मीदवार अपने क्षेत्र के श्रमिक-कारीगरों को टिकट किराया देकर बुला रहे हैं।

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