धर्म- समाज

भगवती गौ माता की कृपा से परम गौ भक्त वल्लभदास को धन वैभव के साथ माता-पिता भी मिल गये : साध्वी कपिला दीदी

श्री महेश मित्र मंडल सूरत के तत्वावधान में गौकथा का आयोजन 13 से 17 नवंबर 2022 तक माहेश्वरी भवन सीटी लाईट में किया गया है। कथा के तीसरे दिन मंगलवार को परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने गौकथा की शुरुआत सर्व देवों एवं सर्व देवमयी भगवती गौमाता की वंदना से की।

परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने परम सुख दायिनी भगवती गौ माता की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री नाथजी के परम गौ भक्त वल्लभदास को भगवती गौ माता की कृपा कर न केवल धन- वैभव अपितु अपार धन संपदा के साथ माता-पिता भी प्रदान कर दी।

श्री दीदीजी ने बल्लभदास जी एवं संयोगिता की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि संयोगिता ने अपनी मां से वल्लभदास से विवाह करने बात की तो मां संयोगिता के पिता के पास यह प्रस्ताव रखा तो उसने वल्लभदास को घर बुलाया और बहुत कुछ कहने के बाद शर्त रखी कि जब तुम्हारे पास हमारे जितना धन दौलत हो जाएगा तो संयोगिता की शादी कर देंगे।

वहां से आने के बाद वल्लभदास को एक सेठ ने धर्म शाला में नौकरी दी, जहां नौकरी करते हुए वल्लभदास ने अपने रहने वाले स्थान पर एक गो माता को रखकर सेवा की। इस बीच धर्मशाला में एक दिन गुजरात से बहुत बड़ा सेठ आये, जो विविध बीमारियों से पीड़ित थे।

वलल्भदास की सेवा से सेठ प्रभावित हुए और उन्हें भी गौ माता सहित अपने साथ गुजरात लेकर आये। वल्लभदास निःस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य निभाता रहा। एक दिन सेठ जी ने अपनी कंपनी की देखरेख की जिम्मेदारी वल्लभदास को सौंप दी।

परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने कहा कि सेठजी को संतान के रुप में दो कन्याएं थी, बेटा नहीं था। रक्षाबंधन के त्यौहार पर उनकी बेटियां बहुत दुखी थी, जिसे देखकर सेठजी ने विचार करते हुए गौ माता के पास पहुंचे, जहां ध्यान आया कि बल्लभदास अच्छा लड़का है। यदि इसे वारिशदार बना लेते हैं तो बेटियों को भाई के साथ मेरा सेवा सत्कार तथा मृत्यु के पश्चात श्राद्ध आदि हो जाएगा और मेरी जायदाद कुशल व्यक्ति के हाथ में रहेगा। सेठ ने वकील को बुलाकर राखी के पर्व से एक दिन पूर्व अपना वसीयत वल्लभदास के नाम कर दिया। जिससे बेटियों ने हर्ष के साथ भाई वल्लभदास की कलाई में रक्षासूत्र बांधी।

इस प्रकार भगवती गौ माता की कृपा से परम गौ भक्त वल्लभदास को धन वैभव के साथ धर्म के पुरोधा समान माता-पिता भी प्रदान कर दी। वल्लभदास के इस मुकाम तक पहुंचने के बाद संयोगिता के पिता ने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे वल्लभदास ने अस्वीकार कर दिया, लेकिन वल्लभदास के पिता ने संयोगिता के पिता की बात मान ली।

मंगलवार को पधारे हुए विशेष गो भक्त बालकिशन राठी, द्वारका दास मारु, मांगीलाल, तुलसी राजपुरोहित, राम स्वरुप बजाज- अध्यक्ष माहेश्वरी भवन समिति, मदन मोहन जी पेड़ीवाल एवं जिला सभा अध्यक्ष व उनकी कार्यकारिणी सदस्यों की विशेष उपस्थिति रही। आज की आरती भवरलाल भूतड़ा, रमेश चांडक, सवाईजी, कपिल चांडक,
जुगल कोठारी द्वारा की गयी।

गौ माता के सानिध्य में रहने से असाध्य बीमारियां हो जाती हैं दूर

परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने कहा कि भगवती गौ माता स्वयं ही एक औषधालय हैं। उनके सानिध्य में रहने से अनेक गंभीर बीमारियां दूर हो जाती है। गौ माता को जितना चारे की जरुरत होती है उससे अधिक उन्हें प्रेम की आवश्यकता है।

एक समय था जब हमारे देश में 5 लाख गौ वंश रखने वाले उपनंद, 9 लाख गौ वंश रखने वाले नंद तथा 1 करोड़ गौ वंश को रखने वाले को विशभदेव की संज्ञा प्रदान की जाती थी। उस समय हमारे देश में दूध,दही
की नदियां बहती थी, तब हमारा देश सोने की चिड़िया कही जाती थी। आज कुछ धन के लालच में लोग मौ माता के बेच देते हैं, उनके रक्त, मांस को भी बेचने से परहेज नहीं करते।

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