
International E-Waste Day: सबसे ज्यादा ई-कचरा पैदा करने वाले राज्यों में गुजरात शामिल
मोबाइल, कंप्यूटर, चार्जर, हेड फोन जैसे उपकरण आज हर किसी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। हालाँकि, इन उपकरणों द्वारा उत्पन्न ई-कचरा एक बड़ा खतरा बन जाता है यदि उनकाअंत में ठीक से निपटान नहीं किया जाता है। आज ‘इंटरनेशनल ई वेस्ट डे’ है, ई-कचरे से होने वाले प्रदूषण में लगातार वृद्धि चिंता का विषय है। सर्वे में 43 प्रतिशत लोगों के पास रिपेयरिंग न कराए जाने की वजह से पांच साल पुराना कोई न कोई डेस्कटाप, लैपटाप, स्मार्टफोन, प्रिंटर, टेबलेट, वाशिंग मशीन, फ्रीज, पंखे, मिक्सर आदि मौजूद हैं।
वित्त वर्ष 2021 में 31.93 लाख मीट्रिक टन ई-कचरा उत्पादन के साथ गुजरात सबसे आगे है। तमिलनाडु दूसरे, महाराष्ट्र तीसरे, ओडिशा चौथे और आंध्र प्रदेश पांचवें स्थान पर हैं। सरकार द्वारा प्रस्तुत विवरण के अनुसार, तीन वर्षों में 24.94 लाख टन ई-कचरा सामने आया है। जिसमें से केवल 4.57 लाख टन ई-कचरे का ही ठीक से निपटान या पुनर्चक्रण किया जा सका। इस प्रकार 20 प्रतिशत ई-कचरे का भी ठीक से निपटान किया जा सकता है।
शेष 80 प्रतिशत ई-कचरा लगातार पृथ्वी प्रदूषण की मात्रा को बढ़ाता है। गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2017-18 में 1298.561 टन, 2018-19 में 3106.3085 टन, 2019-20 में 14185.54 टन और 2020-21 में 109463 टन ई-कचरा एकत्र किया और उसका उचित तरीके से निपटान किया।



