धर्म- समाज

हमारे जीवन के सभी शाप-संताप मिटा देती हैं गौ माता : गोपालानंद सरस्वतीजी महाराज

तीर्थ यात्रा की इच्छा हो, पर शरीर में बल या पास में पैसा न हो, तो गौ माता के दर्शन, पूजन, और परिक्रमा करने से सारे तीर्थो का फल मिल जाता है।

श्री पथमेडा गोधाम महातीर्थ के विशाल गोवंश की सेवार्थ परम् श्रद्धे्य गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंद जी महाराज की पावन प्रेरणा से 10 दिसम्बर 2022 तक श्री गोकृपा कथा महोत्सव का आयोजन महाराण प्रताप चौक से देवध-गोडादरा रोड पर श्री कृष्ण स्टेलर सूरत में किया गया है। कथा के मुख्य मनोरथी परम गौ भक्त गजानंद जी कंसल परिवार है।

सात दिवसीय गोकृपा महोत्सव के तीसरे दिन मंगलवार को स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि गौमाता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौमाता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूंछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।

महाराजजी ने कहा कि महामहिमामयी गौ हमारी माता है उनकी बड़ी ही महिमा है। वह सभी प्रकार से पूज्य है गौमाता की रक्षा और सेवा से बढकर कोई दूसरा महान पुण्य नहीं है। गौमाता को कभी भूलकर भी भैस बकरी आदि पशुओं की भांति साधारण नहीं समझना चाहिये। गौ के शरीर में “33 करोड़ देवी देवताओ” का वास होता है।

गौमाता श्री कृष्ण की परमराध्या है, वे भाव सागर से पार लगाने वाली है। गौ माता को अपने घर में रखकर तन-मन-धन से सेवा करनी चाहिये, ऐसा कहा गया है जो तन- मन-धन से गौ माता की सेवा करता है, तो गौ माता उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करती है।

नित्य प्रति भोजन बनाते समय सबसे पहले गाय के लिए रोटी बनानी चाहिये गौग्रास निकालना चाहिये। गौ ग्रास का बड़ा महत्व है। गौओ के लिए चरणी बनानी चाहिये, और नित्य प्रति पवित्र ताजा ठंडा जल भरना चाहिये, ऐसा करने से मनुष्य की “21 पीढियाँ” तरजाती है। गाय के दूध, घी, दही, गोवर, और गौमूत्र, इन ‘पञ्चगव्य’ के द्वारा मनुष्यों के पाप दूर होते है।

गौ के “गोबर में लक्ष्मी जी” और “गौ मूत्र में गंगा जी” का वास होता है इसके अतिरिक्त दैनिक जीवन में उपयोग करने से पापों का नाश होता है, और गौमूत्र से रोगाणु नष्ट होते है। जिस देश में गौमाता के रक्त का एक भी बूंद गिरता है, उस देश में किये गए योग, यज्ञ, जप, तप, भजन, पूजन , दान आदि सभी शुभ कर्म निष्फल हो जाते है।

यदि तीर्थ यात्रा की इच्छा हो, पर शरीर में बल या पास में पैसा न हो, तो गौ माता के दर्शन, गौ की पूजा, और परिक्रमा करने से, सारे तीर्थो का फल मिल जाता है। गाय सर्वतीर्थमयी है, गौ की सेवा से घर बैठे ही 33 कोटि देवी देवताओं की सेवा हो जाती है।

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