कर्म वही है जो बंधन का कारण न बने, उसके अलावा किया जानेवाला हर कार्य केवल परिश्रम मात्र है ” : श्री. कृष्णमोहनदास जी महाराज
सर्वेश्वर श्री काशीविश्वनाथ जी की नगरी में पूरे जगत के नाथ श्री विश्वनाथ जी की सेवा में नित संलग्न रहने वाले पूजनीय “श्री. कृष्णमोहनदास जी महाराज” ने इस बात को एक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा होनेवाला सप्त-दिवसीय श्रीमद भगवत कथा जो की ऑनलाइन माध्यम से सीधा काशी से प्रकाशित हो रहा है, उस कथा के मध्य में एक प्रसंग की चर्चा करते समय कहा की, ” कर्म वही है जो बंधन का कारण न बने, उसके अलावा किया जानेवाला हर कार्य केवल परिश्रम मात्र है ”
चतुर्थ दिवस की कथा कर्म और फल की चर्चा करते हुए पूज्य गुरूजी श्री कृष्णमोहनदास जी महाराज ने श्री विष्णुपुराण के एक श्लोक ” तत्कर्म यन्न बन्धाय सा विद्या या विमुक्तये। आयासायापरं कर्म विद्यऽन्या शिल्पनैपुणम्॥ ‘ का वर्णन करते हुए बताया की कैसे श्री विष्णुपुराण जी के इस श्लोका में स्पष्ट रूप से ये कहा गया है की, मनुष्य द्वारा किया गया कोई भी कार्य अगर उसके लिया किसी भी प्रकार के बंधन का कारण बन रहा है तो वह कार्य केवल एक कठिन परिश्रम मात्र है नाकि उसका कर्म | कर्म केवल वही जो मनुष्य को बंधन मुक्त रखे नाकी बंधक बना कर रखे।
पूज्य गुरूजी ने उनके मुंबई में स्थित भक्तो की इच्छा का सम्मान करते हुए इस सप्तम दिवसीय कथा का आयोजन किया जिसका संचालन उनके द्वारा स्थापित “श्री हरिसेवा चैरिटेबल ट्रस्ट ” के माध्यम से किया जा रहा है। इस सप्तम दिवसीय कथा में श्री हरी के काफी भक्तोने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और कथा के इस ऑनलाइन प्रसारण में जुड़कर इस कथा अमृत का रसपान किया।