सूरत
इंटक की चेतावनी, श्रमिकों के हित में कदम उठाया जाए अन्यथा कलेक्टरेट के सामने देंगे धरना
सोमवार को इंटक ने सूरत के जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपाकर शहर और सूरत जिले के विभिन्न उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों व रेहड़ी-पटरी वाले श्रमिकों के हित मे कदम उठाने की मांग की। ज्ञापन में बताया गया कि पिछले डेढ़ महीने में गुजरात राज्य और पूरे भारत में कोरोना के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं। इसी श्रृंखला में सूरत जिला व शहर में स्थितियां गंभीर हो गई हैं रोजाना कोरोना मामलों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है।
सूरत शहर और जिले में विभिन्न पाबंदियों के साथ लॉकडाउन लगाया गया है जिसके कारण शहर में विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले तथा रेहड़ी-पटरी वाले श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं, जिसके चलते बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों ने अपने गृहप्रदेश की ओर पलायन शुरू कर दिया हैं। सरकार ने पिछले लॉकडाउन में जो गलतियां की जिसके परिणाम स्वरूप श्रमिकों को भारी यातनाएं झेलनी पड़ी थी वह बहुत दर्दनाक था। सूरत में लोकडाउन से प्रवासी श्रमिक बहुत मुश्किल में हैं और उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय बन गई हैं। इस संबंध में पूर्व में दिनांक 24 मार्च 2021 को भी ज्ञापन सौंपकर ध्यानाकर्षण कराया गया था किमतु दुःख की बात हैं कि सरकार की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाए गए।
वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिला कलेक्टर और गुजरात के मुख्यमंत्री के समक्ष मांग हैं कि तत्काल श्रमिकों के हित मे कदम उठाया जाए। इंटक अग्रणी शान खान ने बताया कि हमारे द्वारा पूर्व में भी जिला प्रशासन व राज्य सरकार का श्रमिकों के हितों की ओर ध्यानाकर्षण कराया गया था किंतु किसी प्रकार का कोई कदम उठाया नहीं गया हैं जिला प्रशासन किसी भी रूप में मजदूर प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने को तैयार नहीं हैं जो बहुत ही अनुचित व निंदनीय विषय हैं यदि अब तत्काल श्रमिकों के हितों में कदम नहीं उठाया जाएगा तो हमें न चाहकर भी कलेक्टर कचेरी के बाहर धरना देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
इस अवसर पर इंटक के प्रदेश महासचिव कामरान उस्मानी , सूरत इंटक के अध्यक्ष उमाशंकर मिश्रा, इंटक अग्रणी व मजदूर नेता शान खान, व सुरेश सोनवणे उपस्थित रहे थे।
इन्टुक की मांगे: –
(1) शहर में सभी औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले व रेहड़ी-पटरी वाले श्रमिकों, टेम्पो-रिक्शा चालकों, दिहाड़ी मजदूरों और गरीब परिवारों को सरकारी खाद्य दुकानों से आधार कार्ड पर मुफ्त राशन दिया जाए। और देश के सभी राज्यों का आधार कार्ड राशन प्राप्त करने के लिए मान्य होना चाहिए।
(2) कपड़ा बाजार, लूम्स, डाईंग-प्रोसेसिंग, हीरे के कारखानों सहित अन्य सभी औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले सभी श्रमिकों को लोकडाउन के दिनों का पूर वेतन भुगतान हो।
(३) सभी औद्योगिक इकाइयों, के काम करने वाले श्रमिकों रेहड़ी-पटरी, टेम्पो-रिक्शा चालकों, दिहाड़ी मजदूरों और गरीब परिवारों को सरकार की ओर से नकद वित्तीय सहायता प्रदान की जाए।