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यार्न के कच्चे माल एमईजी पर बीआईएस कानून को मंत्रालय ने तीन महीने बढ़ाया

देश भर के संगठनों द्वारा मांग की गई थी

केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय द्वारा यार्न और यार्न के कच्चे माल यानी एमईजी पर 3 अप्रैल से क्वालिटी कंट्रोल करने का फैसला लिया गया था। जिसके खिलाफ सूरत सहित देशभर के कपड़ा उद्यमियों ने विरोध किया था और समय बढ़ाने की मांग की थी। जिसे ध्यान में रखकर केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय द्वारा 28 जून तक निर्णय स्थगित रखा गया है। हालांकि यार्न को लेकर कोई घोषणा नहीं किए जाने से विवर खफा है।

कपड़ा उद्योग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यार्न और यार्न कच्चे माल को गुणवत्ता युक्त बनाने के लिए केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय द्वारा देशभर में 3 अप्रैल के बाद बीआईएस के स्टैंडर्ड के मुताबिक ज्ञान और एमजी का उत्पादन और बिक्री होगी ऐसा सर्कुलर जारी किया गया था। इसके लेकर कपड़ा उद्योग में चिंता थी।

कपड़ा उद्यमियो ने कहा कि देश में 40 फीसदी यार्न निर्माता बीआईएस प्रमाणित हैं और अगर यह कानून लागू होता है तो विदेशों से पॉलिएस्टर धागे के आयात पर प्रतिबंध लग जाएगा, जिससे हजारों पावरलूम बंद हो जाएंगे। साथ ही बीआईएस प्रयोगशाला को विकसित करने के लिए 25 लाख से अधिक खर्च किए जाने हैं। इन्हीं सब कारणों से कपड़ा उद्योग समय बढ़ाने की मांग कर रहा है।

चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से यार्न पर अमल की समय सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा गया था। इसको लेकर चैंबर अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला और फियास्वी अध्यक्ष भरत गांधी भी दिल्ली गए थे। कपड़ा उद्योग के प्रेजेंटेशन के बाद सरकार ने इस फैसले को 28 जून तक के लिए टाल दिया है। कपड़ा उद्योगपति मयूर गोलवाला ने कहा कि फिलहाल जो समय सीमा बढ़ाई गई है वह यार्न के कच्चे माल पर है। यार्न के लिए भी समय बढ़ाने की जरूरत है।

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