धर्म- समाजप्रादेशिक

सामाजिक योगदान और जनसेवा संकल्प की विरासत को आगे बढ़ा रहे संतोष सिंह

मुंबई। संस्कृत के एक श्लोक के भावार्थ के अनुसार एक तरफ जहां दुर्जन व्यक्ति विद्या को विवाद के लिए, धन को अहंकार के लिए तथा शक्ति को दूसरों को परेशान करने के लिए उपयोग करते हैं, वहीं सज्जन व्यक्ति विद्या को ज्ञान के लिए, धन को दान के लिए तथा शक्ति का उपयोग दूसरे की रक्षा करने के लिए करते हैं। उत्तर भारतीय संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संतोष सिंह युवा और ऊर्जावान होने के साथ-साथ, अपने पिता स्वर्गीय आर एन सिंह के सामाजिक योगदान और जन सेवा संकल्प को तेजी के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। स्वर्गीय आर एन सिंह अपने जीवन में हमेशा प्रैक्टिकल रहे।

उनका साफ मानना था कि किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे जरूरी होता है उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करना। संतोष सिंह को यह बातें विरासत में मिली है। यही कारण है कि सबसे पहले वे आर्थिक मदद की बात करते हैं । पिछले वर्ष बोरीवली के प्रतिष्ठित पंडित आचार्य धर्मेंद्र मिश्रा के अचानक देहावसान के बाद उनके परिवार की आर्थिक मदद के लिए बुलाई गई बैठक में उपस्थित बड़े-बड़े उत्तर भारतीय चेहरों के बीच संतोष सिंह ने तत्काल न सिर्फ एक लाख रुपए मदद की घोषणा की,अपितु सुबह होते-होते खाते में एक लाख रुपए भेज दिए।

पिछले दिनों दहिसर में रहने वाली एक सामान्य परिवार की उत्तर भारतीय लड़की ऐश्वर्या मिश्रा ने एशियाई खेलों में 4 x 400 मीटर की रिले रेस में भारत को रजत पदक दिलाकर देश का नाम रोशन किया। ऐश्वर्या मिश्रा को बधाई देने के लिए समाज के प्रतिष्ठित लोगों का तांता लग गया। अनेक लोगों ने उनके भारत लौटने पर जोरदार सम्मान की घोषणा भी की, परंतु संतोष सिंह ही पहली ऐसे व्यक्ति रहे, जिन्होंने ऐश्वर्या मिश्रा को 2 लाख रुपए नकद राशि देने की घोषणा की। देखा जाए तो अति सामान्य परिवार की ऐश्वर्या मिश्रा को आर्थिक मदद देने की आवश्यकता है ताकि वह मेहनत करके ओलंपिक खेलों में देश का नाम रोशन कर सके। उसके पिता कैलाश मिश्रा ने भी मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में उपरोक्त बातें कही है।

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