18 जनवरी को एक करोड़ लोग गायेंगे अणुव्रत गीत, लेंगे अणुव्रत संकल्प
अणुव्रत गीत महासंगान : इंसानियत के पैगाम का महाअभियान
जन-जन को मानवता का संदेश देने के उद्देश्य से “एक विश्व – एक स्वर – मानव धर्म मुखर” के नारे के साथ इस 18 जनवरी को देशभर में हजारों स्थानों पर अणुव्रत गीत “नैतिकता की सुरसरिता में जन-जन मन पावन हो, संयममय जीवन हो” का सामूहिक संगान किया जायेगा। देश-विदेश में एक करोड़ लोगों की इसमें सहभागिता की सम्भावना है। महासंगान का मुख्य कार्यक्रम अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में ठाणे मुंबई में आयोजित होगा।
यह अभियान अणुव्रत आंदोलन की केंद्रीय संस्था अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी (अणुविभा) के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। अणुव्रत गीत महासंगान के साथ-साथ सभी संभागी श्रेष्ठ भारत का शंखनाद करते हुए सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संकल्प लेंगे। उल्लेखनीय है कि आचार्य श्री महाश्रमण जी इन्हीं तीन उद्देश्यों को लेकर सुदीर्घ अणुव्रत यात्रा (पदयात्रा) कर रहे हैं।
अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर ने बताया कि 1949 में 20वीं सदी के महान संत आचार्य श्री तुलसी द्वारा प्रवर्तित यह आंदोलन इस वर्ष अपना अमृत महोत्सव मना रहा है। इन 75 गौरवशाली वर्षों में अणुव्रत के इस सार्वजनीन दर्शन ने हर जाति, वर्ग, धर्म और वर्ण के लाखों-लाखों लोगों के जीवन को अभिप्रेरित किया है। राष्ट्रपति भवन से लेकर गरीब की झोंपड़ी तक अणुव्रत आंदोलन ने दस्तक दी और एक अहिंसक और शांतिप्रिय समाज के निर्माण में उन्हें साथ जोड़ते हुए आगे कदम बढ़ाए।
असाम्प्रदायिक धर्म के रूप में प्रतिष्ठित अणुव्रत का दर्शन अहिंसा, मानवीयता, सर्वधर्म सद्भाव, संयम, प्रामाणिकता, कुरूढ़ि उन्मूलन, नशामुक्ति, पर्यावरण और चुनावशुद्धि जैसे सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन से जुड़े अहम् मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन ने बताया कि यह गीत पिछले 7 दशकों से लाखों घरों और विद्यालयों में गाया जाता रहा है। जीवन में संयम के महत्व को उजागर करता यह गीत एक नैतिक, सद्भावपूर्ण और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
अणुव्रत के सर्वसमावेशी दर्शन को गीत की इन पंक्तियों से बखूबी समझा जा सकता है – “अपने से अपना अनुशासन अणुव्रत की परिभाषा, वर्ण जाति या संप्रदाय से मुक्त धर्म की भाषा। छोटे-छोटे संकल्पों से मानस परिवर्तन हो, संयममय जीवन हो।” आचार्य श्री तुलसी का यह मानना था कि व्यक्ति-व्यक्ति सुधर जाए तो समाज, राष्ट्र और विश्व स्वतः सुधर जाएंगे और व्यक्ति सुधार के लिए छोटे-छोटे संकल्पों अर्थात अणुव्रतों को जीवन में अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अणुव्रत गीत महासंगान का केंद्रीय समन्वय कक्ष सूरत में स्थापित किया गया है जहाँ अणुव्रत समिति ग्रेटर सूरत संयोजकीय दायित्व निभाते हुए अपने कार्यकर्ताओं की समर्पित टीम के साथ देश-विदेश में इस आयोजन हेतु संपर्क साध रही है। अणुविभा के उपाध्यक्ष राजेश सुराणा, महामंत्री भीखम सुराणा व अणुव्रत समिति ग्रेटर सूरत के अध्यक्ष विमल लोढ़ा, मंत्री संजय बोथरा, संयोजक दिलीप सेठिया तथा अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के प्रतिनिधि कुलदीप कोठारी के मार्गदर्शन में कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम इस कार्य में संलग्न है।
सूरत टीम ने बताया कि देशभर में लगभग 600 स्थानों पर फैले अणुव्रत समिति, अणुव्रत मंच व तेरापंथ युवक परिषद् के नेटवर्क के माध्यम से हजारों विद्यालय, व्यापारिक व औद्योगिक संस्थान, धार्मिक स्थल एवं स्वयंसेवी संस्थान इस महाभियान का हिस्सा बनेंगे। इसी के साथ अन्य देशों में भी लोग अभियान से जुड़ेंगे।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् इस अभियान की सहयोगी संस्था है जिसकी देशभर में 300 से अधिक शाखाओं से जुड़े हजारों युवा कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा व महामंत्री अमित नाहटा के मार्गदर्शन में अणुव्रत गीत महासंगान की सफलता में योगभूत बन रहे हैं।
स्थानीय स्तर पर 18 जनवरी को “अणुव्रत गीत महासंगान” की तैयारियाँ जोरों से चल रही है। स्थानीय अणुव्रत समिति के