मन में प्रभु के प्रति प्रेम से भवसागर पार हो जाता है : महंत गोविंद दास महाराज
सूरत। श्री रामचरित मानस चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा पांडेसरा स्थिति पुनीत नगर में 9 दिवसीय रामचरित मानस कथामृत का आयोजन किया जा रहा है। व्यासपीठ से महंत गोविंद दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम के वन गमन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि प्रेम के आगे सभी विवश हो जाते हैं। जैसे राजा दशरथ को भगवान राम के प्रति इतना प्रेम था कि उनके वन गमन पर उनके वियोग में प्राण त्याग दिए।
तत्पश्चात अयोध्या आए भरत का माता कैकेयी से पता चला कि राम को वनवास मिला है और पिता की मृत्य हुई है। तो वे भ्राता राम को वापस लाने के लिए वन निकल पड़े। राम तक पहुंचने के लिए भरत को छह बाधाएं आईं। कुलगुरु वशिष्ठ महाऋषि, निशाद, प्रयागराज में गंगामैया, महर्षि भारद्वाज, राजा इंद्र और भ्राता लक्ष्मण।किंतु लक्ष्मण के पास इतता प्रेम था कि सभी बाधाओं को पार कर श्रीराम के पास पहुंच गए।
इससे कथा से सीख मिलती है कि चाहे जितने बाधाएं हो पर भगवान के प्रति मन में प्रेम हो तो सभी कठिनाइयों को पार उन तक पहुंचा जा सकता है।