पॉलिएस्टर स्पर्न यार्न पर एन्टी डंपिंग मुद्दे पर कपड़ा सचिव ने वीवर्स अग्रणियों की राय मांगी
आयात यार्न पर ड्यूटी के मुद्दे पर सूरत उद्यमियों की कपड़ा सचिव के साथ वच्र्युअल मीटिंग
सूरत। भारत सरकार के टेक्सटाइल सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा 30 सितंबर को वीवर्स एसोसिएशन और उसके अग्रणियों के साथ पॉलिएस्टर स्पर्न यार्न पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में वीडियो सम्मेलन आयोजित किया गया था। इनमें फियास्वी के अध्यक्ष भरत गांधी, चैंबर के अध्यक्ष आशीष गुजराती, सर्कुलर निटिंग एसोसिएशन के बिष्णु अग्रवाल, वीवर्स अग्रणी मयूर गोलवाला और अन्य वीवर्स ने अपनी राय रखी।
कपड़ा सचिव को भरत गांधी ने बताया कि पॉलिएस्टर स्पर्न यार्न कपड़ा बनाने के लिए प्रमुख कच्चा माल है। वित्त मंत्री द्वारा बजट 2021-22 में कहा गया था कि टेक्सटाइल फेब्रिक बनाने वाले इकाई द्वारा इस्तेमाल होने वाले रो मटेरियल पर किसी भी प्रकार का एन्टी डम्पींग ड्यूटी नहीं लगानी चाहिए और टेक्सटाइल मंत्रालय द्वारा भी इसका ड्राफ्ट पॉलिसी 2020 की नीति के मुताबिक वीविंग और नीटिंग क्षेत्र में इस्तेमाल रो मटेरियल पर एन्टी डम्पींग ड्यूटी नहीं लगाने का उल्लेख किया था।
उन्होंने आगे कहा कि अगर पॉलिएस्टर स्पर्न यार्न पर एन्टी डम्पींग ड्यूटी लगाया जाता है, तो भारत में बना कपड़ा और महंगा हो जाएगा। इन परिस्थितियों में भारत जिन देशों के साथ एफटी है, वहां से बड़े पैमाने पर कपड़ा सस्ते भाव आयात होगा और बड़े इन कपड़ों की बड़ी मात्रा में उन देशों से सस्ते में आयात किया जाएगा और बुनाई उद्योग जो बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान करता है, वह रोजगार खो देगा।
चैंबर के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने कपड़ा सचिव को बताया कि पूरे भारत में पावरलूम क्षेत्र में कुल 14,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और वीवर्स द्वारा लंबे समय से आधुनिक मशीनरी स्थापित की जा रही है। जिसमें बहुत बड़ा निवेश भी है। अभी तक इन उच्च गति वाली मशीनरी में केवल विदेशी यार्न का ही इस्तेमाल किया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन मशीनों पर भारत में बने यार्न का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसलिए अगर आयातित यार्न महंगा हो जाता है, तो इससे कपड़े भी महंगे हो जाएंगे।
वीवर्स अग्रणी मयूर गोलवाला ने टेक्सटाइल सेक्रेटरी को बताया कि डीजीटीआर द्वारा एंटी डम्पींग ड्यूटी के इन्वेस्टीगेशन में जो प्रोडक्ट अंडर कन्सीडरेशन का भारत में कुल उत्पादन का आंकड़ा और इसी पीयूसी के टेक्सटाइल कमिशनर द्वारा डीजीटीआर को दिए आंकड़े में 45 से 50 फीसदी अंतर है। एन्टी डम्पींग ड्यूटी इन्वेस्टिगेशन एक्ट के अनुसार किसी भी उत्पाद पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी की जांच तभी शुरू की जा सकती है, जब उस उत्पाद का आयात संबंधित देशों से भारत में उसी उत्पाद की कुल खपत के मुकाबले 20% या उससे अधिक हो। टेक्सटाइल कमिशनर के कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पीरियड ऑफ इन्वेस्टीगेशन दौरान पॉलिएस्टर स्पर्न यार्न का भारत में कुल उत्पादन 4,08,270 टन था। इसके सामने उस वर्ष संबंधित देशों से पॉलिएस्टर स्पर्न यार्न का आयात 51,591 टन था, जो भारत के कुल उत्पादन का केवल 12.64 प्रतिशत है, जो कि 20 प्रतिशत से भी कम है।
उन्होंने आगे कहा कि डीजीटीआर द्वारा गलत आधार पर जांच शुरू की गई है। जिस दिन से डीजीटीआर द्वारा एंटी डम्पींग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की थी, उस दिन से बाजार में पॉलिएस्टर स्पर्न यार्न की कीमत लगातार बढ़ रही है। और आपूर्ति को रोकने और कीमत बढ़ाने के लिए सप्लायरों द्वारा एक कार्टेल का गठन किया गया है। जिन स्थानीय उद्योगों ने डीजीटीआर में ड्यूटी लगाने के लिए आवेदन किया था, उनका उद्देश्य पूरी तरह से लाभ को अधिकतम करना था और जो भारत के आर्थिक विकास और बहुत बड़े पैमाने पर कपड़ा उद्योग के विकास को नुकसान पहुंचाएगा।