सूरत, हजीरा: अदानी फाउंडेशन आदिवासी महिलाओं को आजीविका प्रदान करने के उद्देश्य से उमरपाड़ा तहसील में विभिन्न गतिविधियां कर रहा है। इसी क्रम में बायफ इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल लाइवलीहुड ने उमरपाड़ा तहसील के घानावड, चोखवाड़ा, पांच आंबा, उमरगोट, केवड़ी और सादरपानी गांवों के 21 सखी मंडलों की कुल 155 बहनों को अन्य क्षेत्रों की सफल गतिविधियों को देखने, समझने और प्रेरणा लेने के लिए आमंत्रित किया।
डांग जिले में चल रही गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कुल तीन प्रेरक यात्राएँ आयोजित कीं। दौरे में उमरपाड़ा क्षेत्र के कोटवालीया भी शामिल थे, जिनकी आजीविका बांस से विभिन्न वस्तुएं बनाकर बेचने से है। कोटवालीया परिवार की इन बुनाई विशेषज्ञ बहनों ने डांग की बहनों से बातचीत कर उनकी कला और व्यापार के बारे में जानकारी हासिल की।
अदाणी फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस यात्रा में उमरपाड़ा मिशन मंगलम की सखी मंडल की बहनों को बायफ संस्था द्वारा संचालित महिला सशक्तिकरण गतिविधियों की जानकारी मिली। विभिन्न बांस हस्तशिल्प, वघई, डांग में एजीसी बांस हस्तशिल्प, जो 15 बहनों और भाइयों का एक समूह है, बांस से विभिन्न अभिनव डिजाइन बनाते हैं, अंबिका सखी मंडल की बहनों द्वारा बनाई गई जैविक हल्दी, खाना पकाने में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न मसाले, साबुन, विभिन्न अचार, नागली पापड़ निर्माण फैक्ट्री और बिक्री इकाई, बहनों द्वारा संचालित नाहरी होटल और काजू फैक्ट्री का दौरा करके पूरे प्रोजेक्ट को समझा गया।
डांग जिले के दौरे के दौरान उमरपाड़ा की बहनों को उनके क्षेत्र में सभी गतिविधियां कैसे की जा सकती हैं, कितनी आय होती है, प्रबंधन का तरीका जैसी तमाम जानकारियां मिलीं। अपनी आय बढ़ाने के लिए उत्सुक ये आदिवासी बहनें घर पर भी विभिन्न गतिविधियों में लगी हुई हैं। उपरपाड़ा तालुका के घानावड गांव की बहनों ने अदाणी फाउंडेशन से जुड़कर प्रशिक्षण प्राप्त किया और अब अचार पापड़ और गरम मसाला बनाकर आय अर्जित करना शुरू कर दिया है। ये ग्रामीण बहनें डांग जिले के दौरे से उत्साहित थीं। कुछ बहनें तो अपने जीवन में पहली बार अपने इलाके से दूसरे इलाके में गईं।