
सूरत। हर साल 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यूनेस्को ने 1995 में इस दिन को ‘विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस’ के रूप में घोषित किया, जिसका मुख्य उद्देश्य पढ़ने, प्रकाशन और बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व को बढ़ावा देना है। इस तिथि को चुनने के पीछे कारण यह है कि 23 अप्रैल विलियम शेक्सपियर और मिगेल डे सर्वेंट्स जैसे महान लेखकों की पुण्यतिथि से जुड़ा हुआ है।
विश्व पुस्तक दिवस पर सूरत की ‘द कमर फ्री लाइब्रेरी’ की दिलचस्प कहानी जानने लायक है। सूरत के सोदागरवाड़ क्षेत्र में स्थित और 1939 में स्थापित यह सूरत के सबसे पुराने लाइब्रेरी में से एक है। उस समय कुछ उत्साही मुस्लिम युवक एकजुट हुए और प्रबुद्ध दानदाताओं के आर्थिक सहयोग से सोदागरवाड़ क्षेत्र में लाल महल नामक मकान में किराये पर एक लाइब्रेरी शुरू किया। उस समय सूरत से मुहम्मद उमर उस्मान टोपीवाला नामक एक प्रबुद्ध विचारक अपनी पत्रिका इस लाइब्रेरी में भेजा करते थे। उन्होंने 17 वर्ष की आयु में मासिक पत्रिका ‘क़मर’ शुरू की। उन्होंने 11 वर्षों तक यह पत्रिका चलाई।
इस पत्रिका के कारण वे ‘कमरवाला’ उपनाम से प्रसिद्ध हो गये। जिन पाठकों और संस्थाओं को उन्होंने पत्रिकाएं भेजीं, उन्होंने भी टोपीवाला को उपहार स्वरूप विभिन्न पुस्तकें भेजीं। इस तरह मुहम्मद उस्मान टोपीवाला ने अमूल्य पुस्तकों का खजाना इकट्ठा कर लिया। टोपीवाला ने ये सभी पुस्तकें इस पुस्तकालय को भेंट कीं ताकि आम जनता भी इनका लाभ उठा सके। 1941 में मात्र 31 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई, इसलिए तत्कालीन समिति ने स्वर्गीय टोपीवाला और लोकप्रिय रूप से ‘कमरवाला’ के नाम से प्रसिद्ध उनकी स्मृति में उनके नाम पर इसका नाम ‘कमर फ्री लाइब्रेरी’ रख दिया।
इस पुस्तकालय की सबसे आकर्षक विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से वातानुकूलित है और वाई-फाई सुविधाओं से सुसज्जित है। यहां 11,000 पुस्तकें उपलब्ध हैं, जिनमें उर्दू में 6,500, गुजराती में 2,000, अंग्रेजी में 2,000 और हिंदी में 500 पुस्तकों का अमूल्य खजाना शामिल है। इतना ही नहीं, इसमें उर्दू में मिरात-ए-सिकंदरी, दरबार-ए-अकबरी और फारसी में हकीकत-ए-सूरत जैसी दुर्लभ पुस्तकों का खजाना भी है, जो 150 साल से भी अधिक पुरानी हैं। यहां प्रतिदिन लगभग 100 समाचार पत्र और पत्रिकाएं आती हैं। मुगल काल के अन्य उर्दू और फारसी ग्रंथ, 15 महत्वपूर्ण शब्दकोश, प्रतियोगी परीक्षा प्रकाशन, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, कला-साहित्य, आत्मकथाएँ और यहां तक कि डिजिटल पत्रिकाएँ भी पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं।
बहुत पुराना होने के बावजूद इस पुस्तकालय ने डिजिटल तकनीक को अपना लिया है। पुस्तकालय डिजिटल पठन अनुभव भी प्रदान करता है, जहां पाठक टचस्क्रीन टैबलेट और ई-रीडर के माध्यम से डिजिटल पुस्तकों का आनंद ले सकते हैं। समाज के सभी वर्गों के नागरिकों, साहित्य प्रेमियों और विद्यार्थियों की ज्ञान-पिपासा को संतुष्ट करने वाला यह पुस्तकालय प्राचीन स्थापत्य शैली का है। यहां मुफ्त वाई-फाई, ऑनलाइन कैटलॉग और ई-पुस्तकों का विशाल संग्रह पाठकों को ज्ञान की एक नई दुनिया की यात्रा पर ले जाता है। हर दो महीने में एक रविवार को लेखकों के साथ बैठकें, पुस्तक चर्चाएं और ज्ञान कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं।
द कमर फ्री लाइब्रेरी के चेयरमैन श्री अब्दुल वाहिद दराई (सीए) का कहना है कि कमर फ्री लाइब्रेरी का प्रबंधन पट्टानी क्रेडिट को-ऑप सोसाइटी के मार्गदर्शन में एक समिति द्वारा किया जाता है। हम वर्तमान में पुरानी दुर्लभ पुस्तकों को डिजिटल रूप से संग्रहित कर रहे हैं। जिसमें हम दुर्लभ पुस्तकों की ई-बुक्स बनाकर उन्हें चरणबद्ध तरीके से अपनी वेबसाइट और टैबलेट पर उपलब्ध कराएंगे। पुस्तकों के डिजिटलीकरण का कार्य प्रगति पर है। बोर्ड परीक्षाओं के दौरान, हम विद्यार्थियों की सुविधा के लिए लाइब्रेरी रात 11 बजे तक खुली रखते हैं।