कैट ने सीतारामन से कपड़े पर 12% जीएसटी कर की दर वापस लेने का आग्रह किया
केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को आज भेजे गए एक पत्र में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कपड़े पर प्रस्तावित 12% GST कर की दर को वापस लेने का आग्रह किया है, जिसे GST परिषद द्वारा 31 दिसंबर, 2021 को फरवरी तक लागू करने के लिए निलंबित कर दिया गया था, और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह को इस पर विचार करने के लिए कहा गया था । वर्तमान में कपड़ा पर 5% कर की दर लगी हुई है जिसमें वृद्धि कर 12 प्रतिशत किया जाना प्रस्तावित है ।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भारतिया और राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने सीतारमण को भेजे गए पत्र में कहा कि देश के उपभोक्ताओं के व्यापक हित में प्रस्तावित वृद्धि को वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि इस तरह की बढ़ोतरी से आम उपभोक्ताओं पर 7% कर की दर का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और व्यापारियों को उनकी पूंजी को अवरुद्ध करके भी प्रभावित करेगा।
भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि कई वर्षों से कपड़ा/कपड़ों पर कोई कर नहीं था। कपड़ा उद्योग को वापस कर के दायरे में लाना ही पूरे कपड़ा उद्योग के लिए एक बड़ा झटका था। कैट के नेतृत्व में भारत भर के व्यापार संगठनों ने इसकी वापिस लेने की माँग की थी ।व्यापार और उद्योग द्वारा यह अनुरोध भी किया गया था कि यथास्थिति 5% की दर से बनाए रखा जाए और जहां भी 12% की दर को लागू किया गया है उसे घटाकर 5% किया जाए।
व्यापारियों के इस विचार का केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भी समर्थन किया, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कैट प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि कपड़ा मंत्रालय 5% की कर दर को रखने के पक्ष में है और मंत्रालय ने पहले ही वित्त मंत्रालय को इस विचार के बारे में सूचित कर दिया है।।
टेक्सटाइल पर जीएसटी दरों में वृद्धि न केवल अंतिम उपयोगकर्ताओं पर वित्तीय बोझ डालेगी, बल्कि छोटे व्यवसायियों को भी बुरी तरह प्रभावित करेगी और कानून के अभ्यस्त अपराधियों द्वारा कर की चोरी और विभिन्न कदाचार को प्रोत्साहित करेगी।साथ ही जो माल व्यवसायियों के स्टॉक में पड़ा है और एमआरपी पर बेचा गया है, उसका 7 प्रतिशत अतिरिक्त भार व्यवसायियों पर पड़ेगा। कर की दर में यह वृद्धि न केवल घरेलू व्यापार को बाधित करेगी बल्कि निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
पहले से ही कपड़ा उद्योग वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों के साथ सक्षम स्थिति में नहीं है। व्यापारी नेताओं ने कहा एक ओर सरकार मेक इन इंडिया और आत्मानिर्भर भारत के बारे में बात करती है,पर दूसरी ओर इस तरह के उच्च कर लगाने से अनिश्चितता और निराशा का माहौल पैदा होता है। इसलिए, जीएसटी कर की दर में वृद्धि को वापस लिया जाए।