
कैट की घोषणा : मर्केंटाइल एसोसिएशन के नेतृत्व में होगा देशव्यापी आंदोलन
कपडा और फुटवियर पर 12 % की जीएसटी कर दर स्वीकार नहीं
जीएसटी काउन्सिल के निर्णय को अमली जामा पहनाते हुए केंद्र सरकार ने कपड़ा एवं फूटवियर जैसी बुनियादी वस्तुओं पर जीएसटी की दर 5% से बढ़ाकर 12% करने की अधिसूचना का दिल्ली सहित देश भर में चौतरफ़ा विरोध हो रहा है। इस मनमानी के ख़िलाफ़ कन्फ़ेडरेशन ओफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) ने देश भर में एक बड़ा अभियान चलाने का निर्णय लिया है। जिसकी अगुवाई कैट के बैनर तले कपड़ा व्यापार के बेहद पुराने संगठन दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केनटाइल एसोसिएशन एवं फेडरेशन ऑफ़ सूरत टेक्सटाइल एसोसिएशन द्वारा की जाएगी। इस अभियान में कपड़ा एवं फूटवियर के अलावा अन्य सभी तरह के व्यापार के व्यापारी संगठन, उनसे जुड़े कामगार, कर्मचारी भी इसमें शामिल होंगे ।
कैट के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा एवं प्रदेश महामंत्री श्री देवराज बवेजा ने कहा की रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की मूलभूत वस्तुएं है। रोटी पहले ही बहुत महंगी हो गई, मकान खरीदने की स्थिति आम आदमी की है नहीं और कपडा जो सुलभ था उसको भी जीएसटी काउंसिल ने महंगा कर दिया है।आखिर देश के आम आदमी के साथ यह किस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है। इस मामले में केवल केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी पूर्ण रूप से दोषी है क्योंकि जीएसटी काउंसिल में यह निर्णय सर्वसम्मति से हुए हैं। उन्होंने मांग की है कि कपडा एवं फुटवियर पर जीएसटी के बढ़ी दर को तुरंत वापिस लिए जाये। उन्होंने कहा की कोविड के कारण व्यापार पहले ही तबाह हो चुका है और अब जब इस वर्ष से व्यापार पटरी पर आना शुरू हुआ था, ऐसे में जीएसटी की दर में वृद्धि कर व्यापार के ताबूत में कील ठोकने का काम किया गया है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की सूत्रों के अनुसार ज्ञात हुआ है की जीएसटी की फिटमेंट कमेटी ने सोने की ज्वेलरी पर जीएसटी की दर 3 % से बढ़ाकर 5 % करने तथा जीएसटी में वर्तमान कर दर 5 % को 7 %, 12 % को 14 % एवं 18 % को 20 % करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा की कर दर में प्रस्तावित यह वृद्धि बेहद तर्क हीन एवं औचित्यहीन है और साफ़ तौर पर फिटमेंट कमेटी की मनमानी है। कपडा एवं फुटवियर पर वृद्धि के मामले में देश के किसी भी व्यापारी संगठन से कोई सलाह मशवरा नहीं किया गया। जिस तरह से लगातार जीएसटी के स्वरुप को विकृत किया जा रहा है और “एक देश -एक कर” का मजाक उड़ाया जा रहा है वह बेहद निंदनीय है। उन्होंने कहा की इस वृद्धि के खिलाफ देश भर के व्यापारी लामबंद हो गए हैं। एक वृहद आंदोलन की तैयारी के लिए आगामी 28 नवम्बर को कैट ने देश के सभी राज्यों के कपड़े एवं फुटवियर व्यापारियों एवं सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं की एक वीडियो के जरिये मीटिंग बुलाई है जिसमें आंदोलन की रणनीति को तय किया जाएगा।
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा की जीएसटी लागू करने से पूर्व तत्कालीन वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली ने 4 जून . 2017 को अपने आवास पर कैट के एक प्रतिधिमंडल को जिस जीएसटी के बारे में बताया था और व्यापारियों से सहयोग का आग्रह किया था। उस जीएसटी की धज्जियाँ उड़ा दी गई हैं और उसके स्थान पर एक बेहद जटिल जीएसटी कर प्रणाली को लागू कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईज ऑफ़ डूइंग बिज़निस तथा एक देश -एक कर की घोषणा का खुल कर मजाक उड़ाया जा रहा है। जीएसटी की वर्तमान कर व्यवस्था ने व्यापारियों को मुंशी बना दिया है। अधिकारी निरंकुश हो गए हैं और या तो जिम्मेदार नेताओं की कमान ढीली हो गई है या फिर वो भी व्यापारियों को प्रताड़ित करने में शामिल है। इस स्थिति को देश भर के व्यापारी अब और अधिक बर्दाश्त नहीं करेंगे।