बिहार विकास परिषद सूरत द्वारा छठ पूजा का आयोजन
हर वर्ष लगभग 55 से 60 हजार की संख्या में श्रद्धांलु छठ पर्व में भाग लेने के लिए पहुंचते है
लोक आस्था का महापर्व छठ आज नहाय खाय से शुरू हो गया है। छठ महज एक पर्व नहीं है, पवित्रता, शुचिता, आपसी सौहार्द एवं भावनाएं का प्रतीक है, जो हमें अपने मातृभूमि, संस्कृति से जोड़ती है।
बिहार विकास परिषद, सूरत द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी तापी तट, इस्कॉन मंदिर के पीछे, जँहागीरपूरा, और डभोली छठ घाट, वेड रोड में छठ पूजा का आयोजन कर रही है, इस वर्ष दिन गुरुवार 7 नवंबर 2024 को डूबते सूर्य (संध्या अर्घ) और शुक्रवार 8 को उगते सूर्य को अर्घ देने के साथ छठ पर्व का समापन होगा। इस वर्ष भारी संख्या में छठवर्ती और उनके परिजन के पहुंचने की संभावना को देखते हुए परिषद के पदाधिकारी गण और कार्यकर्त्ता, प्रशासन के साथ मिलकर घाट की साफ सफाई करने में तन मन धन से पूरा सहयोग कर रहे है।
सूरत महानगर पालिका के साथ मिलकर घाट को तैयार किया जा रहा है, हर वर्ष लगभग 55 से 60 हजार की संख्या में श्रद्धांलु छठ पर्व में भाग लेने के लिए पहुंचते है, जिसे देखते हुए बिहार विकास परिषद किसी भी प्रकार की जोखिम नहीं लेते हुए पूरी तरह से घाट की साफ सफाई, समुचित लाइट की व्यवस्था, स्थाई तौर पर शौचालय की व्यवस्था कर रही है।
बिहार विकास परिषद द्वारा आयोजित छठ पूजा समिति के संयोजक संजय प्रसाद सिंह, सह संयोजक मनोज सिंह, देवेन्द्र सिंह, पूजा स्थल इस्कॉन मंदिर ताप्ती घाट जँहागीरपूरा और देवेंद्र उपाध्याय के नेतृत्व में डभोली ताप्ती छठ घाट, वेड रोड पर छठ पूजा का आयोजन कर रही है।
नहाय खाय से पूजा
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। इस साल 5 नवंबर 2024, मंगलवार यानी आज से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। छठ के पहले दिन नहाय खाय की परंपरा होती है। इस दिन व्रती सुबह नहाकर सात्विक भोजन ग्रहण करते है।
नहाय खाय के साथ शुरू होकर यह पर्व उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होता है। छठ पूजा के इन चार दिनों तक व्रत से जुड़े कई नियमों का पालन किया जाता है।, जिसमें शुद्धता प्रथम है । नहाय खाय के दिन सबसे पहले तो पूरे घर को साफ-सुथरा किया जाता है।
छठ का व्रत करने वाले व्रती को नहाय खाय के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि करना चाहिए, छठ पूजा नहाय खाय से प्रारंभ होती हैं जिसमें नहाय खाय से शारीरिक शुद्धता के साथ छठ पर्व की प्रथम दिन प्रारंभ होती है। संभव हो तो नहाय खाय के दिन नया वस्त्र पहनें। इसके अलावा आप साफ-सुथरा कपड़ा भी पहन सकते हैं।
नहाय खाय के दिन सात्विक भोजन बनाई जाती है, जिसमें लहसुन प्याज पूर्णतः वर्जित है, भोजन शुद्ध रूप से अरवा चावल की भात, चना की दाल, और कद्दू की सब्जी भोजन तैयार होने के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करके
नहाय खाय कि प्रसाद पहले सूर्य देव को भोग लगाने के बाद ही छठव्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं ।
नहाय खाय के दिन कद्दू की सब्जी, लौकी चने की दाल और भात (चावल) खाने की परंपरा है। नहाय खाय के दिन तैयार किया गया भोजन सबसे पहले व्रती को ही खाना चाहिए। इसके ही बाद परिवार के अन्य सदस्य खाते हैं