सूरत के इस मंदिर में छत्रपति शिवाजी महाराज दर्शन करने आते थे, मंदिर में आज भी है उनकी तलवार
सूरत में मां अम्बे का ऐतिहासिक मंदिर, मंदिर में नारियल की बलि चढ़ाने की परंपरा
आज मां शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है। आने वाले नौ दिनों में तक देवी के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि की शुरूआत के साथ ही मां अम्बे के मंदिरों में भक्तों का जनसागर उमड़ रहा है। सूरत में देवी- देवताओं के कई पुराने प्राचीन मंदिर है, जिनका अपना माहात्म है। लेकिन आज मां शारदीय नवरात्रि पर हम बात करेंगे सूरत के ऐतिहासिक मंदिर मां अम्बे की, जो एक हजार पुराना प्राचीन मंदिर है। मंदिर में माताजी का दर्शन करने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते है। इस मंदिर की महिमा की बात करें तो एक हजार साल पहले प्रेमजी भट्ट नामक व्यक्ति माताजी को एक लकड़े के बक्शे में लेकर आए थे और छोटासा मंदिर बनाकर माताजी की स्थापना की थी, लेकिन अब यहा विशाल मंदिर बनाया गया है।
इतिहास के पन्ने में उल्लेख किया गया है कि करीबन 360 साल पहले छत्रपति शिवाजी महाराज जब भी सूरत पर चढ़ाई करने आते थे, तो माताजी का दर्शन करने लिए आते थे। क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज मां भवानी के परम भक्त थे और माताजी भवानी का ही स्वरूप है। कहा जाता है कि उनकी तलवार भी इस मंदिर में है।
दशहरा के दिन माताजी चांदी के रथ में सवार होकर करती है नगरचर्या
मंदिर के पुजारी भाविक जोशी बताते है कि एक हजार साल पहले प्रेमजी भट्ट नामक व्यक्ति ने माताजी को को एक लकड़े के बख्शे में लेकर आए थे और स्थापना की थी। नवरात्रि के दौरानल यहां माताजी की नवदुर्गा की स्थापना की जाती है। दशहरा के दिन माताजी चांदी के रथ में सवार होकर नगरचर्या पर निकलती है।
मनोकामना पूर्ति के लिए होता है अनुष्ठान
इस मंदिर में 64 खंड की परंपरागत पूजा होती है, जिसमें बहनों अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए 64 खंड में भाग लेती है। साथ ही जिनका विवाह नहीं होता है, संतान प्राप्ति से वंचित है, जिन महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है, वे इस अनुष्ठान में बैठती है। 64 खंड का प्रसाद लेने के लिए दूर दराज से बहनें आती है।
नारियल की चढ़ायी जाती है बलि
इस मंदिर का दूसरा माहात्म है कि इस मंदिर में नारियल फोड़ा नहीं जाता है बल्कि नारियल की बली चढ़ायी जाती है। माताजी को सात्विक रखा गया है। आम तौर पर अन्य मंदिरों में पशुओं की बली चढ़ायी जाती है, लेकिन सूरत के इस मंदिर में माताजी को नारियल की बली चढ़ायी जाती है। नारियल को छिले बिना 15 किलो की लकड़े की मोगली से छाल के साथ नारियल की बलि चढ़ाई जाती है।