भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु
सूरत। सूरत में श्री सूरत सेवा समिति के तत्वाधान में पर्वत पाटिया स्थित श्री माहेश्वरी सेवा सदन में श्रीकृष्ण कथा सह प्रवचन सुनकर श्रोता भक्त रोजाना भक्त सागर में गोता लगा रहे है। क्षेत्र में भक्ति की बह रही अविरल धारा से वातावरण भी भक्तिमय बना हुआ है। कार्यक्रम के दूसरे दिन के अवसर पर कथा व्यास कन्हैया लाल पालीवाल प्रेमी जी ने पुतना उद्धार एवं नंद उत्सव आदि का वर्णन किया।
कथा व्यास ने कहा कि प्रेम हो या द्वेष, लोभ हो या फिर मोह किसी भी भावना से यदि प्रभु से संबंध जुड़ जाए तो भगवान उसे अपनी शरण में ले लेते हैं। कृष्ण जन्म के बाद कंस को अपनी मृत्यु का भय सताने लगा और वह उन्हें पागलों की तरह ढूढ़ रहा था। एक दिन उसने पूतना नाम की राक्षसी को गोकुल धाम में भेज दिया। पूतना ने अपने स्तन में कालकूट विष लगाकर भगवान श्रीकृष्ण को अपनी गोद में ले लिया और उन्हें स्तनपान कराने लगी। धीरे-धीरे प्रभु जब दुग्ध के साथ उसके प्राणों को भी पीने लगे तो चीखने-चिल्लाने लगी। प्रभु ने मुष्टिका प्रहार कर उसका अंत कर दिया।
कथावाचक ने भगवान श्रीकृष्ण के आविर्भाव का वर्णन करते हुए कहा कि अज्ञान के घोर अंधकार में दिव्य प्रकाश। परिपूर्णता भगवान श्याम सुंदर के शुभागमन के समय सभी ग्रह अपनी उग्रता, वक्रता का परित्याग करके अपने-अपने उच्च स्थानों में स्थित होकर भगवान का अभिनंदन करने में संलग्न हैं। कथा व्यास ने कहा सत्य कर्म करोगे तो सत्य प्राप्त होगा और सत्य प्राप्त होगा तो भक्ति में आनन्द की प्राप्ति होगी। दूसरे को कार्य का श्रेय देना सीखों, दूसरे के हित को ध्यान में रखें। उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का विस्तार से समझाया। कहा भगवान अपनी प्रत्येक लीला से सत्य से जुड़ने की सीख देते है। श्री सूरत सेवा समिति के जगदीश कोठारी ने बताया कि रविवार को भक्तों को तुलसी का वितरण किया जाएगा।