सूरत

फूलों से बना उर्वरक: सूरत महानगरपालिका के वर्मी कम्पोस्टिंग प्लांट में इकट्ठे हुए फूल-पत्तों के कचरे से पिछले वर्ष 70 टन वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन

शहर के कतारगाम, सेंट्रल, रांदेर और अठवा ज़ोन के 297 धार्मिक स्थलों से प्रतिदिन 700 किलोग्राम पूजा-पाठ का कचरा एकत्र किया जाता है

सूरत : वर्षों से स्वच्छता में अग्रणी सूरत शहर को स्वच्छ, प्रदूषण-मुक्त और हराभरा बनाए रखने हेतु सूरत महानगरपालिका (SMC) द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे हैं। SMC ने ‘प्रकृति के तत्वों से प्रकृति का संरक्षण’ का मार्ग अपनाते हुए वर्मी कम्पोस्टिंग प्लांट के माध्यम से फूल-पत्तों के कचरे से जैविक उर्वरक का निर्माण किया है। इस प्लांट से पिछले वर्ष 70 टन वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया।

वर्ष 2017 में चौकबाजार और 2018 में कतारगाम-सिंगणपुर में शुरू हुए इन प्लांट्स में मंदिरों, जैन मंदिरों और दरगाहों से इकट्ठे किए गए फूलों व पूजा सामग्री को संसाधित कर उर्वरक में बदला जाता है। केवल पिछले वर्ष ही 2.30 लाख किलोग्राम फूलों के कचरे से 70 हजार किलोग्राम जैविक खाद तैयार की गई।

फूलों के कचरे का प्रबंधन

सेनेटरी सब-इंस्पेक्टर श्री नितिनभाई पटेल के अनुसार, प्रतिदिन 700 किलोग्राम फूल व पूजा सामग्री का कचरा चार ज़ोन के करीब 297 धार्मिक स्थलों से इकट्ठा किया जाता है। पहले यह कचरा नदी या नालों में डाल दिया जाता था, जिससे जल प्रदूषण और त्वचा रोगों का खतरा बढ़ता था। इसलिए SMC ने पानी को प्रदूषित होने से बचाने और कचरे से सर्वश्रेष्ठ बनाने के लक्ष्य के साथ वर्मी कम्पोस्टिंग प्रोजेक्ट शुरू किया।

प्रोसेसिंग की प्रक्रिया

नितिनभाई के अनुसार, कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया चार चरणों में होती है:

1. संग्रहण और वर्गीकरण: सबसे पहले दूध की थैलियाँ, नारियल, मिट्टी की मूर्तियाँ, बेल आदि कचरे से अलग किए जाते हैं।

2. प्री-कम्पोस्टिंग: हरे कचरे को गोबर के साथ 60:40 के अनुपात में मिलाकर 35 दिन तक सड़ाया जाता है।

3. वर्मी कम्पोस्टिंग: इस मिश्रण में केंचुए डाले जाते हैं, जो 35 दिनों में उत्कृष्ट कम्पोस्ट तैयार करते हैं।

4. अंतिम छंटाई: केंचुओं को हटाकर खाद को छान लिया जाता है, जिससे उपयोग हेतु तैयार जैविक खाद प्राप्त होती है।

यह कम्पोस्ट SMC के गार्डन विभाग को दिया जाता है, जो इसे पूरे शहर के डिवाइडर, पार्क व बाग-बगीचों में पौधों और वृक्षों के लिए उपयोग करता है। श्री पटेल ने बताया कि इस परियोजना से प्रेरित होकर शहर के कई स्कूल-कॉलेजों में भी अब गार्डन वेस्ट से कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है।

वर्मी कम्पोस्ट की विशेषताएं

श्री पटेल ने बताया कि केंचुओं द्वारा तैयार किया गया यह जैविक खाद धरती का काला सोना कहलाता है। केंचुए मिट्टी को नरम और उपजाऊ बनाते हैं, जिससे वर्षा का पानी भूमि में समाहित होता है और मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है। इस वर्मी कम्पोस्ट में आमतौर पर:

नाइट्रोजन: 1.0–1.5%

फॉस्फोरस: 0.5–1.0%

पोटेशियम: 1.5–2.0%

के अलावा कोबाल्ट, कैल्शियम, जिंक और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। हालांकि, अलग-अलग जैविक पदार्थों के आधार पर पोषक तत्वों की मात्रा में कुछ अंतर हो सकता है।

 

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