सूरत : सूरत के मल्होत्रा परिवार के पाँच बच्चे ताइक्वांडो प्रतियोगिता में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश-राज्य का प्रतिनिधित्व कर अनेक उपलब्धियाँ हासिल कर रहे हैं और परिवार, राज्य व देश का नाम रोशन कर रहे हैं। परिवार के दो बेटियाँ तथा तीन बेटे ताइक्वांडो में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं।
मल्होत्रा परिवार के दो भाइयों अमनभाई व आशिषभाई की पाँच संतानें कड़ा परिश्रम कर देश-राज्य का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। इनमें अमनभाई की संतानें कुशल, दर्श व काम्या तथा आशिषभाई की संतानें तन्मय व स्तुति शामिल हैं। विशेष रूप से 18 वर्षीय बेटी काम्या मल्होत्रा ने ताइक्वांडो प्रतियोगिता में लगभग 13 स्वर्ण, 5 रजत तथा 2 कांस्य पदक प्राप्त कर सूरत का गौरव बढ़ाया है। उसे खेल प्रशिक्षण के लिए हर महीने राज्य सरकार की 4500 रुपए की सहायता मिल रही है।
मूलत: नई दिल्ली का तथा वर्षों से सूरत में स्थायी हुआ मल्होत्रा परिवार पार्ले पॉइंट स्थित गोकुल रॉ हाउस में रहता है। परिवार के अमनभाई मल्होत्रा कपड़ा व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। उनकी पुत्री काम्या ने खेल-कूद के संघर्षमय यात्रा करते हुए सफलता प्राप्त की है। वह सूरत के सार्वजनिक कॉलेज ऑप इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (स्केट) कॉलेज में बेचलर ऑफ कम्प्यूटर एप्लिकेशन (बीसीए) के प्रथम वर्ष में अभ्यास के साथ पिछले दस वर्षों से ताइक्वांडो खेल रही है।
काम्या ने देश-विदेश में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अनेक कीर्तिमान अपने नाम किए हैं। इसके अतिरिक्त; उसने अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर अब तक 13 स्वर्ण, 5 रजत, 2 कांस्य सहित कुल 19 पदक प्राप्त कर इस प्रतियोगिता में उज्ज्वल कॅरियर की ओर कदम बढ़ाए हैं।
काम्या ने गुजरात स्टेट चैम्पियनशिप में 5 स्वर्ण व 3 रजत पद पाए हैं, जबकि खेल महाकुंभ में 4 स्वर्ण व 1 रजत पदक प्राप्त किए हैं। उसने नेशनल स्कूल गेम्स में 1 स्वर्ण, 40वीं जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में 1 रजत, आईटी चैम्पियन ऑफ चैम्पियन फाइनल में 1 स्वर्ण, आईटी जूनियर प्रतियोगिता में 11 स्वर्ण, इंडियन ताइक्वांडो (आईटी) ओपन नेशनल में 1 स्वर्ण, 65वीं एसजीएफआई नेशनल प्रतियोगिता में 1 रजत, तृतीय माउंट एवरेस्ट इंटरनेशनल ओपन ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में 1 कांस्य सहित 13 स्वर्ण, 5 रजत, 2 कांस्य पदक प्राप्त करने की गौरवशाली उपलब्धि प्राप्त की है।
उतार-चढ़ाव से भरी है काम्या की संघर्ष गाथा
काम्या मल्होत्रा ने अपनी संघर्ष गाथा के विषय में कहा, “मैं 6 वर्ष की आयु से ताइक्वांडो खेल रही हूँ। राज्य सरकार की योजनागत सहायता से मेरा प्रशिक्षण वेसू स्थित डाइनैमिक वॉरियर्स अकादमी में चल रहा है। मुझे हर महीने राज्य सरकार की ओर से प्रशिक्षण के लिए 4500 रुपए की सहायता मिल रही है, जिससे खेल-कूद क्षेत्र में आगे बढ़ने में प्रोत्साहन मिला है। माता-पिता ने मुझे अपने कॅरियर को नई उड़ान देने के लिए सज्ज किया। उनके पूर्ण सहयोग से ही मैंने ताइक्वांडो का नियमित प्रशिक्षण शुरू किया। आत्मरक्षा के लिए माता-पिता ने मुझे 6 वर्ष की आयु में ताइक्वांडो खेल में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था। मेरे विद्यालय के प्रशिक्षक ने प्रशिक्षण के दौरान मेरी सुषुप्त प्रतिभा को पहचान कर इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मुझे प्रोत्साहन प्रदान किया।”
काम्या ने कहा, “सर्वप्रथम जिला स्तरीय प्रतियोगिता में मुझे टूर्नामेंट का प्रथम गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ था। इसके बाद वर्ष 2013 में पुणे (महाराष्ट्र) व वर्ष 2019 में चेन्नई (तमिलनाडु) में नेशनल टूर्नामेंट में मैंने भाग लिया, जिसमें सफलता नहीं मिलने पर भी निराश हो गई, परंतु मुझे सीख मिली कि मुझे अभी और मेहनत करने की जरूरत है। इसके बाद उसी वर्ष राजस्थान में आयोजित नेशनल टूर्नामेंट में मैंने रजत पदक प्राप्त किया, जो मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट था। मेरा उत्साह दुगुना हुआ, जिसके चलते तीन वर्ष प्रशिक्षण लेकर मैंने नासिक में नेशनल टूर्नामेंट में भाग लिया और स्वर्ण पदक प्राप्त किया।”
खेल जगत में नाम कमा रही सूरत की ताइक्वांडो गोल्ड मेडलिस्ट काम्या पढ़ाई के साथ-साथ दिन के छह घण्टे ताइक्वांडो की प्रैक्टिस भी करती है। वह रसोई कला में भी निपुण है। हालाँकि खेल में पर्याप्त ध्यान दे सके; इस कारण वह मोबाइल-टीवी से दूर रहती है। वह होटल तथा रेस्टोरेंट के फास्टफूड-जंकफूड के स्थान पर घर का सात्विक भोजन लेती है।
काम्या कहती है कि सरकार खेल-कूद को प्रोत्साहन देकर महिला सशक्तिकरण का कार्य कर रही है। राज्य सरकार की खेलोन्मुखी अनेक योजनाओं व नीतियों के कारण खेल जगत के सैकड़ों उभरते बच्चों-युवाओं को नई दिशा मिली है। काम्या ने जोड़ा कि उसके जीवन में ऐसे दिन भी आए, जब लगातार प्रशिक्षण लेने के बावजूद वर्ष 2013 से 2018 में उसे एक भी राष्ट्रीय स्तर का पदक प्राप्त नहीं हुआ था, जिससे वह हताश हो गई थी। ऐसे समय में परिवार व प्रशिक्षक ने उसे आश्वास्त कर उसका साहस बढ़ाया था।
काम्या ने कहा, “लगातार प्रैक्टिस के कारण तीन वर्ष बाद मैं नेशनल टूर्नामेंट में एक और स्वर्ण पदक जीत पाई थी और वर्ष 2022 में मुझे तीसरी माउंट एवरेस्ट इंटरनेशनल ओपन ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला था। मेरे कॅरियर के लिए यह उज्ज्वल अवसर मिलने के बाद मेरी अकादमी के प्रशिक्षक तथा मेरे सहप्रशिक्षुओं के परिजनों ने मेरा साथ दिया, जिसके कारण फंडिंग की सुविधा से मैं एशियन चैम्पियनशिप खेलने गई। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मैंने राष्ट्रीय कांस्य पदक प्राप्त किया। तबसे मैं लगातार विभिन्न प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन कर रही हूँ।”
काम्या के पिता अमनभाई मल्होत्रा कहते हैं, “हमारे परिवार का प्रत्येक सदस्य किसी न किसी खेल से जुड़ा हुआ है। मैं स्वयं कराटे ब्लैक बेल्ट चैम्पियन रहा हूँ, जिसके कारण परिवार के पाँच बच्चों को खेल-कूद में कॅरियर निर्माण के लिए प्रोत्साहन दे रहा हूँ। परिवार के पाँच बच्चों ने ताइक्वांडो खेल में उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिनमें काम्या ने सर्वाधिक उपलब्धि प्राप्त कर परिवार व देश का नाम ऊँचा किया है।”
ताइक्वांडो खेल क्या है ?
मार्शल आर्ट प्रकार का ताइक्वांडो खेल मूलत: दक्षिण कोरिया का राष्ट्रीय खेल है, जिसे वर्ष 2000 से बीजिंग ओलंपिक से ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया है। हाथ एवं पाँव की सहायता से खेले जाने वाले इस खेल में दो प्रतियोगियों को सर्किल में खेलना होता है। इसमें प्रतियोगी कमर पर बंधे बेल्ट से नीचे नहीं मार सकता है। सीने व मुँह पर हाथ और पैर मारने से पॉइंट मिलते हैं। इसमें मुँह पर किक या हाथ लगने पर 3 पॉइंट, जबकि पेट पर हाथ या पैर लगने पर 2 पॉइंट मिलते हैं।