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जयपुर से नागपुर तक, सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो भारत को बना रहा है समस्याओं का समाधान करने वालों का देश

सैमसंग सॉल्‍व फॉर टुमॉरो के लिए 30 जून 2025 तक आवेदन किये जा सकते हैं

गुरुग्राम, भारत: जयपुर में सूरज की रौशनी से भरपूर कक्षाओं से लेकर नागपुर के गूंजते लेक्‍चर हॉल्‍स तक, बस एक सशक्त सवाल कैंपस में गूंज रहा है: “आप भारत के लिए कौन सी समस्या हल करेंगे?”

यही सवाल एक नेशनल इनोवेशन चैलेंज, सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो के लिए भी सबसे महत्‍वपूर्ण है। यह चैलेंज स्‍टूडेंट्स को चेंजमेकर्स बना रहा है और कैंपस को भविष्य के लिए लॉन्चपैड में बदलने का काम कर रहा है।

29 अप्रैल को जबर्दस्‍त लॉन्‍च के बाद, डिज़ाइन थिंकिंग वर्कशॉप और कॉलेज ओपन हाउस का संचालन पूरे भारत में किया गया – इसने न केवल बड़े महानगरों तक, बल्कि पूर्वोत्तर के जीवंत क्षेत्रों तक भी अपनी पहुंच बनाई है।

सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो 2025 शीर्ष चार विजेता टीमों को उनके प्रोजेक्ट्स के लिए 1 करोड़ रुपये की सहायता देगा। इसके साथ ही उन्‍हें प्रोटोटाइपिंग, निवेशकों से संपर्क, और सैमसंग लीडर्स व आईआईटी दिल्ली के संकाय से विशेषज्ञ मार्गदर्शन भी मिलेगा।

जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में 1,000 से अधिक स्‍टूडेंट्स ने ऑडिटोरियम को अपनी कल्पनाओं, महत्वाकांक्षाओं और सपनों से भर दिया। उनमें से नमन लखानी ने किताबों से परे सोचना शुरू किया।

“मैं हमेशा कुछ ऐसा बनाना चाहता था जो वास्तविक समस्याओं को हल कर सके। सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो ने मुझे दिखाया कि कोई है जो हमारी बात सुनना चाहता हैऔर उन विचारों को सच करने में मदद करना चाहता है।”

एक अन्य छात्रा अंशिका गुप्ता ने कहा, “यह एक चिंगारी की तरह था। यह कार्यक्रम सिर्फ नवाचार के बारे में नहीं है बल्कि यह सबको शामिल करने के बारे में है। इसने मुझे महसूस हुआ कि मैं भारत के भविष्य का निर्माण करने का हिस्सा बन सकती हूँ, भले ही मैं अभी स्कूल में हूँ।”

यात्रा जयपुर के ही महाराजा सवाई भवानी सिंह स्कूल तक जारी रही, जहाँ 850 छात्रों की भीड़ में शामिल ईशान शर्मा के नजरिये में बदलाव आया। उसने कहा कि, “मुझे एहसास हुआ कि मुझे समस्याओं को हल करने के लिए स्नातक होने या बड़ा होने का इंतज़ार नहीं करना है। अगर हमारे पास अभी आइडियाज़ हैं, तो सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो उन्हें सुनना चाहता है। वास्‍तव में यह सशक्तिकरण है।”

नागपुर में, रामदेवबाबा विश्वविद्यालय के जीवंत समुदाय ने इस अभियान का खुले दिमाग और खुली नोटबुक्स के साथ स्वागत किया। 640 प्रतिभागियों में शामिल, मान्या ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एआई-पावर्ड समाधान बनाने के अपने सपने के बारे में बताते हुए कहा,

“पहली बार, एक मंच हमारे पास आया – हमारे कैंपस, हमारे शहर में – और कहा, ‘आइए कुछ ऐसा बनाएँ जो मायने रखता हो।’ यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं है। यह एक लॉन्चपैड है।”

वर्चुअल रूप से भी, उत्साह रुका नहीं। अहमदाबाद के शांति बिजनेस स्कूल ने अब तक का सबसे बड़ा ऑनलाइन सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो ओपन हाउस आयोजित किया, जिसमें 1,700 से अधिक छात्र शामिल हुए। चर्चाएँ क्‍लीन एनर्जी से लेकर पहुंच-योग्य तकनीक तक फैलीं।

एक छात्र ने चैट में साझा किया, “यह क्रिएटर्स की एक राष्‍ट्रीय कक्षा जैसा महसूस हुआ था। हम मीलों दूर थे, लेकिन हमारे आइडियाज आपस में जुड़े।”

भोपाल में, ओरिएंटल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (ओआईएसटी) बातचीत को जमीनी स्तर तक लेकर आया – स्‍टूडेंट्स स्थानीय समस्याओं को तकनीक से कैसे हल कर सकते हैं। 290 छात्रों की उपस्थिति में, इस आयोजन में एक शांत, दृढ़ ऊर्जा थी।

एक छात्र ने कहा, “हम सिर्फ सपने नहीं देखना चाहते। हम बनाना चाहते हैं। सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो हमें इसका ब्‍लू्प्रिंट दे रहा है।”

जैसे-जैसे सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो भारत भर में फैल रहा है, इससे एक बात तो स्‍पष्‍ट है कि इनोवेशन केवल प्रयोगशालाओं या बड़े शहरों से ताल्‍लुक नहीं रखता। यह हर उस छात्र से जुड़ा है जिसके पास एक सवाल है और जिसके पास जवाब खोजने का साहस है।

तो, अगर आप एक स्‍टूडेंट हैं और आपके पास कोई ऐसा आइडिया है जो वास्तविक समस्या हल कर सकता है – तो आपके पास एक सुनहरा मौका है। सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो में अभी अप्‍लाई करें। आपकी कक्षा इस यात्रा का अगला पड़ाव हो सकती है। और आपका आइडिया? यह सब कुछ बदल सकता है।

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