2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद बीजेपी के पास कैबिनेट के चयन में कई विकल्प होंगे। चूंकि भाजपा के पास 156 विधायकों में से मंत्रियों को चुनने के कई विकल्प हैं, ऐसे में कई अटकलें हैं कि भूपेंद्र पटेल की नई सरकार के मंत्रिमंडल में सूरत के प्रतिनिधि का कद यथावत रहेगा या घटेगा। सूरत के सूरत समेत दक्षिण गुजरात विपरीत परिस्थितियों में भी बीजेपी का गढ़ बनता जा रहा है, जिसके बाद सूरत और दक्षिण गुजरात को मंत्रिमंडल में कैसे प्रतिनिधित्व दिया जाए, इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
बीजेपी ने दक्षिण गुजरात की 28 में से 27 सीटों के साथ ही सूरत शहर जिले की सभी 16 सीटों पर कब्जा कर लिया है। इसके साथ ही बीजेपी ने गुजरात में 156 सीटों पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। बीजेपी द्वारा इतिहास रचने के बाद अब 12 दिसंबर को गांधीनगर में कामूर्ता शुरू होने से पहले शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है। भूपेंद्र पटेल की पिछली सरकार में पूर्णेश मोदी, हर्ष संघवी, विनोद मोरडिया और मुकेश पटेल सूरत शहर से मंत्री थे जबकि कानू देसाई दक्षिण गुजरात से मंत्री थे।
रूपाणी सरकार में कुमार कानानी सूरत के इकलौते मंत्री थे, उन्हें हटाकर सूरत को चार मंत्री दिए गए थे। हालांकि अब जब भूपेंद्र पटेल एक नए इतिहास के साथ फिर से मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, तो कार्यकर्ता-नेताओं के साथ-साथ लोगों में भी इस बात को लेकर खासी उत्सुकता है कि उनके नए मंत्रिमंडल में सूरत और दक्षिण गुजरात को कितना और कितना प्रतिनिधित्व मिलेगा।
156 विधायकों के साथ भाजपा के पास मंत्री चुनने के लिए व्यापक विकल्प हैं, ऐसे में चर्चा शुरू हो गई है कि सूरत को पिछले कार्यकाल की तरह प्रतिनिधित्व नहीं मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि इसके उलट सूरत समेत दक्षिण गुजरात बीजेपी का गढ़ बन गया है, इसलिए उसे प्रतिनिधित्व जरूर मिलेगा।
इसके अलावा अन्य चेहरों के नाम की भी चर्चा हो रही है, ऐसे में लोग कयास लगा रहे हैं कि सूरत को इस बार कैबिनेट से पहले कैबिनेट में कितनी अहमियत मिलेगी। ये कयास कितने सच और कितने झूठे हैं, इसका पता तो कैबिनेट की घोषणा होने पर ही चलेगा।