सूरत। द सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा मंगलवार 28 फरवरी, 2023 को, सरसाना में सूरत इंटरनैशनल प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर में प्लेटिनम हॉल में ‘आईपीओप्रेन्योर्स’ पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें विशेषज्ञ वक्ताओं मुंबई स्थित बीएसई एसएमई के प्रमुख अजय कुमार ठाकुर, अहमदाबाद स्थित नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष आशीष गोयल और सूरत स्थित जैनम ब्रोकिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मिलन परिख ने उद्योगपतियों को कंपनी को स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करने के लिए मार्गदर्शन किया।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष हिमांशु बोडावाला ने कहा कि वर्तमान में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सभी सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट कैप 3.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो दुनिया में आठवें स्थान पर है। पिछले साल करीब 40 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए पूंजी जुटाई थी। पिछले 20 साल के दौरान साल 2007 में सबसे ज्यादा 108 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए पूंजी जुटाई। वर्तमान में एनएसई और बीएसई में लगभग 6819 कंपनियां सूचीबद्ध हैं। लिस्टिंग के माध्यम से पूंजी जुटाने का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि एक बार व्यापार सार्वजनिक हो जाने पर, निवेशक बाजार में अपने शेयरों का व्यापार कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि सूरत अब अपनी अर्थव्यवस्था और जनसंख्या के मामले में दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला शहर है। अब सूरत की कई कंपनियां एनएसई और बीएसई में लिस्टेड हैं और सभी अच्छे वॉल्यूम के साथ कारोबार कर रही हैं। उनमें से कई ने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है।अजय कुमार ठाकुर ने कहा कि 13 मार्च, 2012 को पहली एसएमई कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई थी। पिछले दस वर्षों में, कंपनियों के 38000 प्रमोटरों को लिस्टिंग के लिए अधिसूचित किया गया है, जिनमें से 700 प्रमोटरों को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया है। अब इन कंपनियों ने 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का वैल्यूएशन कर लिया है।
उन्होंने कारोबारियों को आईपीओ लाने के चार अहम मानदंडों की जानकारी दी। उसके लिए कंपनी तीन साल पुरानी होनी चाहिए और एक साल में मुनाफा कमाया हो। कंपनी के पास कम से कम डेढ़ करोड़ रुपये की संपत्ति होनी चाहिए और कंपनी के पास सकारात्मक नेटवर्थ होनी चाहिए।
उन्होंने लिस्टिंग से होने वाले फायदों की जानकारी देते हुए कहा कि स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग के बाद कंपनी 25 फीसदी शेयर डायलूट करके मार्केट से इक्विटी फंड हासिल कर सकती है। हालांकि, इस फंड का इस्तेमाल प्रमोटरों द्वारा उद्योग के विकास के लिए किया जाना चाहिए। प्रमोटर की कंपनी में दृश्यता और पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि देश का हर व्यक्ति इसमें निवेश कर सके।
उन्होंने आगे कहा कि शेयर दिखाई नहीं दे रहे हैं लेकिन वैल्यूएशन वही दे रहे हैं। इसलिए उन्होंने सूरत की कंपनियों से इसका लाभ उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सूरत से हर साल 200 कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ सकती हैं। अगले पांच साल में अगर 200 से 500 सूरत की कंपनियां लिस्टेड होती हैं तो 50 हजार करोड़ रुपए की वैल्यू बन सकती है।
मिलन पारिख ने कहा कि आईपीओ लाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं है। उसके लिए कंपनी की नेटवर्थ उचित होनी चाहिए। कंपनी को व्यवस्थित रूप से आयकर का भुगतान करना होगा। आईपीओ के लिए कंपनी को ब्रांडिंग पर फोकस करना होगा। साथ ही सिस्टमैटिक प्रेजेंटेशन करना होता है।