कामना नहीं होगी तो मनुष्य की उन्नति नहीं होगी : स्वामी गोविंददेव गिरिजी
सारे उपचार केवल दवा से नहीं होते है, दृष्टिक्षेप ही पर्याप्त होता है
सूरत। शहर के वेसू कैनाल रोड पर शिव महापुराण कथा के चौथे दिन गुरूवार को स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज ने भगवान शिव जी की महिमा का व्याख्यान करते हुए बताया कि जिसका ज्ञान का नेत्र खुल गया, उसके लिए सामने किसी भी प्रकार के आकर्षण टिकते ही नहीं है। भगवान महादेव ज्ञान स्वरूप है। जो महात्मा सत्यनिष्ठ है उसकी वाणी सत्य होकर ही रहती है। पापियों ने भारत के विज्ञान का नाश किया। भगवान महादेव काल के भी काल है इसलिए महाकाल है।
दृष्टि में बड़ी शक्ति होती है। सदगुरू की दृष्टि में अमृत होता है। सारे उपचार केवल दवा से नहीं होते है। दृष्टिक्षेप ही पर्याप्त होता है। आंखों वहीं होती है, लेकिन दृष्टि अलग अलग होती है। एक स्त्री जब पति को देखती है तो दृष्टि अलग होती है। पुत्र की ओर देखती है तो अलग होती है। सनातन धर्म में हमारे जीवन के क्षेत्र का तिरस्कार नहीं है। काम को भी भगवान ने आदर के साथ स्वीकार किया है।
धर्म के अनुकूल कामना ग्राहय है। कामना नहीं होगी तो मनुष्य की उन्नति नहीं होगी। साथ में रहने के रस को बढ़ाने के लिए भी वियोग की आवश्यकता होती है। जीवन की महत्वपूर्ण भूमिका को जीवन उतारने का उपदेश देते हुए कहा कि जैसे अलग अलग चीजों के कोर्स होते है, वैसे ही उत्तम बहू, मां बनने की बाते नहीं सीखायी जाती है। कथा के दौरान संजय सरावगी, जेपी अग्रवाल, राकेश कंसल, ताराचंद खुराना, श्यामसुंदर, विनोद अग्रवाल ने स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज का आशीर्वाद लिया।