
मुंबई, 24 जून, 2025। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि साल 2047 तक विकसित भारत निर्माण के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे देश के लिये इनोवेशन एक मजबूत रीढ़ है और इस दिशा में नीति, अनुसंधान और उद्यम को जोड़ने में आईआईएम मुंबई जैसे शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
डॉ. सिंह, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट मुंबई (आईआईएम मुंबई) में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। आईआईएम मुंबई ने आज एआईसी-एनआईटीआईई इनक्यूबेशन फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एआईसी-एनआईटीआईई) के उद्घाटन के साथ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। इस दौरान डॉ. सिहं ने कहा कि एआईसी-एनआईएफआईई जैसे केंद्र भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड को मूर्त आर्थिक विकास में बदलने में सहायक होंगे।
डॉ. ने इस केंद्र की परिकल्पना इनोवेशन को बढ़ावा देने, शुरुआती चरण के स्टार्टअप का समर्थन करने और “आत्मनिर्भर भारत” के राष्ट्रीय मिशन के तहत आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक परिवर्तनकारी मंच के रूप में की है। उद्घाटन के दौरान डॉ. सिंह ने आईआईएम मुंबई की “लीडरशिप सीरीज़” के तहत “विकसित भारत: पिछले दशक में भारत के स्टार्टअप की प्रगति और आगे का रास्ता” विषयक सत्र को संबोधित किया।
अटल इनोवेशन मिशन के तत्वावधान में स्थापित ‘एआईसी-एनआईएफआईई’ को इनक्यूबेशन, मेंटरशिप, इंडस्ट्री लिंकेज और रिसर्च और टेक्नोलॉजी तक पहुंच के माध्यम से इनोवेटर्स और उद्यमियों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सेंटर भारत के आर्थिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मैन्युफैक्चरिंग, सप्लाई चेन, सस्टेनेबिलिटी और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में स्टार्टअप के साथ मिलकर काम करेगा।
इस अवसर पर आईआईएम मुंबई के डायरेक्टर प्रो. मनोज कुमार तिवारी ने कहा, “एआईसी-एनआईएफआईई का शुभारंभ संस्थान के भीतर एक डायनमिक इनोवेशन इको-सिस्टम के निर्माण की दिशा में एक कदम है। यह विचार नेतृत्व, अनुसंधान और उद्यमिता के माध्यम से प्रभाव पैदा करने के हमारे मिशन के साथ संरेखित है। इस पहल के साथ, आईआईएम मुंबई स्टार्टअप इको-सिस्टम के लिए समर्थन के माध्यम से राष्ट्रीय विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता को और प्रगाढ करता है, जिसमें आज तक 14 स्टार्टअप, उद्योग-संचालित रिसर्च और नई नॉलेज इकनॉमिक्स का निर्माण शामिल है।