धर्म- समाजसूरत

स्वयं खुश रहते हुए दूसरों को खुशी देना ही धर्म है : संत सुधांशु  महाराज

विश्व जागृति मिशन, सूरत मंडल द्वारा संचालित बालाश्रम (अनाथाश्रम) के सेवार्थ रामलीला मैदान, रिलायसं मॉल के पास, एस.डी. जैन स्कूल के सामने वेसू सूरत में आयोजित चार दिवसीय विराट भक्ति सत्संग का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, व्यास पूजन एवं सद्गुरु वंदना से किया गया। मंच का संचालन कार्यक्रम के पर्यवेक्षक आचार्य रामकुमार पाठक ने किया। प्रख्यात उद्योगपति एवं समाजसेवी पंकजभाई कापड़िया, कपड़ा कारोबारी अनिल अग्रवाल, मंडल के प्रमुख गोविन्द डांगरा ने दीप प्रज्वलन किया।यजमान पवन डागंरा एवं डांगरा परिवार ने व्यास पूजन किया।

इसके पश्चात राधेश्याम आहुजा, दिनेशभाई, वंशीधर गर्ग, रविभाई सहित अनेक महानुभावों का मंडल के पधाधिकारियों संरक्षक दिलीप ब्रह्मभट्ट, डॉ. रजनीकांत दवे, अश्विनी अग्रवाल, योगेश मोदी, पूरणमल सिंघल, राम केवल तिवारी, इन्द्रमणि चतुर्वेदी, किशोर पाटिल, वंशी जोशी, बबलू तिवारी, राजू मूले, देवीदास पाटिल, सीताराम

मारु आदि ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया। इसके पश्चात बालाश्रम के नन्हें बाल-गोपालों ने गीत प्रस्तुत कर सद्गुरु के चरणों में वंदन निवेदित किया।

विराट भक्ति के प्रथम दिन लोक विख्यात संत सुधांशुजी महाराज ने कहा कि स्वयं खुश रहते हुए दूसरों को खुशी देना ही धर्म है। दूसरे के अधिकार का हनन करना, उसकी संपत्ति हड़प लेना, दूसरों को अपने वाणी से दुख पहुंचाना ही पाप है। परमात्मा ने भविष्य की ऐसी चादर डाली है कि हम आप देख नहीं सकते। विगत 2 वर्षों में कोरोना की महामारी से अब धीरे-धीरे उबर गये हैं। लेकिन इस दो वर्षों में दुनिया के कई देशों में युद्ध, भुखमरी एवं वैश्विक महामारी आदि सब चल रहा है। लेकिन हमारा यह देश भारत श्रीराम- श्रीकृष्ण, देवों एवं ऋषियों-मुनियों का देश हैं, जिससे हम पहले भी सुरक्षित रहे हैं आज भी हैं और आगे भी रहेंगे। परंतु हम सभी को परमपिता परमेश्वर के प्रति आस्था, विश्वास, प्रार्थनाएं, नियम बनाए रखना चाहिए। जहां भी हमें करुणा, दया करने का अवसर मिले चुकना नहीं चाहिए।

महाराजजी ने गीता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि गीता मेरा हृदय है, जिसे देने के लिए पृथ्वी पर आया हूं। गीता ही मेरा घर है, गीता ही ज्ञान है, जहां मैं रहता हूं वह उत्तम स्थान गीता ही है। गीता ही आंतरिक एवं बाहरी ज्ञान प्राप्त प्रदान कर पूर्ण सफलता प्रदान करती हैं। वह स्थान भी गीता ही है जो लोग गीता का अनुशरण करते हैं उनका लोक-परलोक सुधर जाता है। गीता ही वह चाबी है जो जीवन की द्वार खोल देती है। गीता के प्रति अपनी श्रद्धा-विश्वास को कमजोर न होने दें। योगेश्वर श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं दुनिया में सबसे कीमती आप हैं फिर दुनिया की चीजें आपके लिए है।

महाराजजी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को माध्यम से गीता का उपदेश हम सभी को दिया है। पांडव परिवार कभी धर्म, नीति नहीं छोड़ी। संसार के साधनों के प्रति पांडवों ने कभी नहीं सोचा। पांडवों ने साधन को नहीं साधन देने वाले श्रीकृष्ण को चुना। जिसका परिणाम हम सभी जानते हैं। आचार्य राम कुमार पाठक में कहा कि सद्गुरु 4 दिनों तक प्राचीन नाम सूर्यनगरी, डायमंड एवं सिल्क सिटी और अब धर्म नगरी के नाम से जानी जाती है मां तापी तट पर बसी सूरत में हम सबको ज्ञान गंगा में गोता लगवाएंगे।

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