
जानें ऑक्सीजन के प्लान्ट पर पुलिस क्यों दे रही है पहरा!
शहर में कोरोना महामारी के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। शहर के अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिल रहे है। वहीं ऑक्सिजन की खपत बढऩे से कमी महसूस की जा रही है। शहर के 200 से ज्यादा अस्पतालों में 200 मेट्रीक टन ऑक्सीजन की जरुरत पड़ रही है। आम दिनों में 10 से 20 मेट्रीक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। लेकिन दिनोंदिन बढ़ते जा रहे कोरोना मरीजों के कारण ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है।
कोरोना के गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होती है। इसके मद्देनजर शहर में ऑक्सीजन की कमी न हो इसलिए सूरत जिला कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर आरआर बोर्ड, खाद्य और औषधि विभाग के अधिकारियों की एक टीम को काम सौंप दिया है।
वर्तमान में ऑक्सीजन झगडिया, वलसाड और हजीरा कंपनियों से ऑक्सीजन आता है। सूरत शहर में चार और जिले में तीन प्लान्ट में ऑक्सीजन की रिफलिंग करके अस्पतालों में पहुंचाया जाता है। सूरत के शहर और जिले के सिविल, स्मीमेर और निजी अस्पतालों की बात करें तो रोजाना 200 मेट्रीक टन ऑक्सीजन जरूरत पड़ रही है।
सभी अस्पतालों पर समय पर ऑक्सीजन पहुंच सके इसलिए डिप्टी कलेक्टर और उनकी टीम चौबीसों घंटे काम कर रही है। साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति किए जानेवाले सात प्लांटों पर पुलिस और राजस्व कर्मचारी तैनात किए गए हैं।