बच्चों को धन के साथ धर्म का भी वारिश बनाएं : संत सुधांशुजी महाराज
दो दिवसीय विराट भक्ति सत्संग का पूर्णाहूति आज
शहर के वेसू स्थित विश्व जागृति मिशन सूरत मंडल द्वारा उधना मगदल्ला रोड स्थित वीर नर्मद यूनिवर्सिटी के कन्वेंशन हॉल में आयोजित दो दिवसीय विराट भक्ति सत्संग का आयोजन किया गया है।
भक्ति स्तसंग के प्रथम सत्र का शुभारंभ शनिवार को शाम 5.15 बजे मुख्य अतिथि पंकजभाई कापड़िया, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्व विद्यालय के कुलपति के.एन, चावड़ा, विश्व जागृति मिशन सूरत मंडल के संरक्षक सुरेश मालानी एवं अनिल अग्रवाल के कर कमलों से दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मंच का संचालन आचार्य रामकुमार पाठक ने किया। सभी अतिथियों का विश्व जागृति मिशन सूरत मंडल के पदाधिकारियों ने माल्यार्पण, शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया।
संत सुधांशुजी महाराज ने वर्तमान परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के समय में मानव मनुष्यता से अधिक धन को महत्व देने लगा है। जिसका मुख्यतया कारण धर्म से दूर होना है। यदि आप धर्म की रक्षा करोगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगी। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में धार्मिक एवं अध्यात्मिक ज्ञान होना जरुरी है। धर्म की सुनो और धारण करो। जैसा व्यवहार हम दूसरों से चाहते हैं, वैसा व्यवहार ही व्यवहार हमें अन्य के साथ करना चाहिए।
झूठ, छल, कपट का सहारा और इन्द्रियों पर नियंत्रण न होना ही अधार्मिकता का लक्षण है। विपत्ति में भी जो व्यक्ति अपने आप को संभाले रखता हा वहीं धर्म है। वाणी में, लेनदेन में पवित्रता, क्रोध पर नियंत्रण, सत्य का आचरण यह सब धर्म के आधार है, जिससे मानव में मनुष्यता बनी रहती है।
महाराजजी ने कहा कि आज धर्म का स्वरुप जैसा होना चाहिए वैसा नहीं है। आज समाज में प्रत्येक व्यक्ति धन को प्राथमिकता दे रहा है। यही कारण है कि आज धर्म, अध्यात्म नहीं बल्कि धन कमाने की शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। बच्चों को धन का वारिशदार बनाओगे तो धर्म का पताका कौन लहराएगा।
महाराजजी ने बल देते हुए कहा कि धर्म रहेगा तो धन भी रहेगा। वर्तमान समय को देखते हुए आज स्वयं एवं अपने बच्चों को धर्म के प्रति आकर्षित करें। यहीं नहीं बल्कि अपने बच्चों को धन के साथ धर्म का भी वारिश बनाएं। जीवन में धर्म आ जाये तो समझना भगवान की बहुत कृपा है।
भक्ति सत्संग का दूसरा सत्र रविवार को सुबह 9.30 बजे से 11.30 बजे तक होगा। साथ ही सत्संग स्थल पर सामाजिक सरोकार के उद्देश्य से सत्संग स्थल पर रक्तदान शिविर का आयोजन रविवार को सुबह 9 से अपरान्ह 1 बजे तक किया गया है।
संस्कार निर्मात्री शक्ति है मां
माता-पिता को जगत में भगवान का स्थान दिया गया। जगत के कण-कण में निहित परमपिता ही जगत के पालन हार हैं, लेकिन मां-बाप भगवान के दिये वह उपहार है, जो अपने संतान को शिक्षित एवं संस्कारवान बनाते हैं। उसमें भी मां तो संस्कार निर्मात्री शक्ति है। जगत के सभी मां-बाप अपने संतान को योग्य बनाना चाहते हैं, ताकि उनके बुढ़ापे में अच्छी तरह देखभाल कर सके। लेकिन दुर्भाग्य है आज बच्चे वृद्धावस्था में उनकी देखरेख की बजाय अपने ऐसो आराम को तवज्जों देने लगते हैं। शिक्षा के बाद कठोरता, निर्दयता आने लगे तो समझना कि धर्म की कमी है।
महाराजजी ने एक घटना सुनाते हुए कहा कि एक दंपति के दो बेटे थे। दोनों अमेरिका के बोस्टन में स्थाई हो गये थे। कभी-कभी माता-पिता में जाया करते थे, लेकिन उन्हें वहां बहुत अच्छा नहीं लगता था, जिससे उम्र ढलने पर घर यानी भारत में रहने लगे। मां की मौत हो जाने पर पिता ने मुखाग्नि देने के लिए बच्चों को बुलाया तो बड़ा बेटा अपनी नई नौकरी के कारण नहीं आ सका और अपने छोटे भाई से मां की मौत में तुम चले जाओ, पिता की मौत होगी तो हम चले जाएंगे।
छोटे बेटे के आने पर बड़े बेटे के नहीं आने का कारण पूछे तो छोटे ने सहजता से बड़े भाई की बात कह दी। जिससे आहत पिता कमरे गया और दो लाइन की चिट्ठी, जिसमें बेटा तुम आये हो तुम्ही ही दोनों के अंतिम क्रिया को निपटा दो लिखा। इसके बाद पिता ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना सुनने के बाद सभी की आंखे नम हो गई।
परमपिता परमेश्वर की कृपा से मिलता है सद्गुरु का सानिध़्य
लोक विख्यात संत सुधांशु जी महाराज दिवसीय विराट भक्ति सत्संग के प्रथम दिन शनिवार को सुबह विश्व जागृति मिशन संचालित बाल आश्रम (अनाथ आश्रम ) में अध्ययनरत बच्चों, शिक्षको, पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों से रूबरू हुए एवं कुशल क्षेम पूछी। इसके बाद मिशन संचालित विद्यालय का जायजा लिया। तत्पश्चात सभी को आशीर्वाद प्रदान की।
इस अवसर पर विश्व जागृति मिशन सूरत मंडल के प्रमुख गोविंद डांगरा, आचार्य रामकुमार पाठक, संरक्षक सुरेश मालानी,डॉक्टर रजनीकांत दवे, पूरणमल सिंघल, अश्विनी अग्रवाल, प्रबंधक राजेश ठाकर, राम केवल तिवारी, इन्द्रमणि चतुर्वेदी, देवीदास पाटिल, सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।
आचार्य रामकुमार पाठक ने कहा कि परम पिता परमेश्वर की कृपा के बिना सद्गुरुदेव का सानिध्य मिलना संभव नहीं है। कोरोनाकाल के बाद पहली बार हम सभी श्रद्धालुभक्तों को सद्गुरु का सानिध्य मिल रहा है।