भाग्य बदलती है गौमाता, गौ पूजन से मिलती है पापों से मुक्ति : गोपालानंद सरस्वतीजी महाराज
भविष्य में संकट के समय गौमाता ही लोगों की रक्षा करेंगी, इस सच्चाई से लोग अनजान हैं
सूरत। श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के संस्थापक गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंदजी महाराज की पावन प्रेरणा एवं 31 वर्षीय गो पर्यावरण एवं आध्यात्मिक चेतना पद यात्रा के 10 वर्ष पूर्ण होकर 11 वें वर्ष में मंगल प्रवेश के उपलक्ष्य में वेदलक्षणा धाम, श्रीकृष्णा स्टेलर प्रांगण, एम.डी. मार्ट, देवीकृपा सोसायटी के पास,गोडादरा-देवध रोड सूरत में चल रही सात दिवसीय गोकृपा कथा महोत्सव के चौथे दिन बुधवार को स्वामी गोपालानंद सरस्वतीजी महाराज ने कहा कि गौमाता की महिमा अपरंपार है। गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौमाता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएं बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती हैं। मनुष्य अगर जीवन में गौमाता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है।
महाराजजी ने कहा कि लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गौ-माता है। गो माता के दूध से जीवन मिलता है। रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता और वह सभी व्याधियों से मुक्त रहता है। गाय के दूध में वे सारे तत्व मौजूद हैं, जो जीवन के लिए जरूरी हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय के दूध में सारे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। मीरा जहर पीकर जीवित बच गई, क्योंकि वे
पंचगव्य का सेवन करती थीं।
उन्होंने कहा कि गाय और ब्राह्मण कभी साथ नहीं छोड़ते हैं लेकिन आज के लोगों ने दोनों का ही साथ छोड़ दिया है। जब पांडव वन जा रहे थे तो उन्होंने भी गाय और ब्राह्मण का साथ मांगा था। समय के बदलते दौर में राम, कृष्ण और परशुराम आते रहे और उन्होंने भी गायों और संतों के उद्धार का काम किया। लोग दृश्य देवी की पूजा नहीं करते और अदृश्य देवता की तलाश में भटकते रहते हैं। उनको नहीं मालूम कि भविष्य में बड़ी समस्याओं का हल भी गाय से मिलने वाले उत्पादों से मिल सकता है। आने वाले दिनों में संकट के समय गौमाता ही लोगों की रक्षा करेगी। इस सच्चाई से लोग अनजान हैं।
मीडिया प्रभारी सज्जन महर्षि ने बताया कि सात दिवसीय गोकृपा महोत्सव के मुख्य मनोरथी परम गोभक्त गजाननजी सूरजभानजी कंसल एवं समस्त कंसल परिवार है। जबकि कथा के यजमान गोभक्त संजय सरावगी, सुभाष अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, तुलसी राजपुरोहित, मालराम राजपुरोहित एवं गोभक्ता श्रीमती कंकुदेवी राजपुरोहित, श्रीमती गायत्रीदेवी सारड़ा के अलावा गोभक्त पोद्दार परिवार एवं सुरभि सेवा समिति है।
उन्होंने कहा कि कथा के मुख्य संयोजक तुलसीभाई राजपुरोहित, मुख्य व्यवस्था प्रभारी मंगल वैष्णव निंबार्क है। कथा स्थल वेदलक्षणा धाम में प्रतिदिन सुबह वैदिक यज्ञ-हवन, गौ शाला में गो माता का पूजन भी होता है। साथ ही कथा स्थल पर दिन भर तुलादान चालू रहता है।