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राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस: गुजरात में होता है देश में सबसे अधिक समुद्री मछली उत्पादन

पिछले 4 वर्षों में गुजरात में हुआ औसतन 8.5 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष का मछली उत्पादन

गाँधीनगर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ब्लू इकोनॉमी पर लगातार दिए जा रहे जोर और गुजरात सरकार के विभिन्न प्रोत्साहन जनक नीतियों के कारण गुजरात में मछली उत्पादन और मत्स्य किसान दिनोंदिन समृद्ध हो रहे हैं। राज्य की इस ब्लू इकोनॉमी व मत्स्य किसानों को और प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात की सरकार राज्य में राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस को सेलिब्रेट कर रही है। 

गौरतलब है कि राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस हर साल 10 जुलाई को मनाया जाता है और देश के समुद्री किनारे पर स्थित राज्य इसे सेलिब्रेट करते हैं। गुजरात में इस वर्ष 10 जुलाई को वेरावल में और 11 जुलाई को पोरबंदर, जाफराबाद, मंगरोल और ओखा में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम में गुजरात सरकार की ओर फिशरीज़ सेक्टर से संबंधि मॉडर्न टेक्नोलॉजी के बारे में मत्स्य किसानों को जानकारी दी जाएगी। 

समुद्री मछली के उत्पादन में गुजरात देश में सबसे आगे

राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस के कुछ दिन पहले हाल के आँकड़ों से यह ज्ञात हुआ है कि गुजरात समुद्री मछली के उत्पादन में देश में सबसे आगे है और वहीं सभी प्रकार के स्रोतों से कुल मछली उत्पादन में देश में पाँचवें स्थान पर है। पिछले 4 सालों की बात करें तो गुजरात में मछली उत्पादन का आंकड़ा औसतन लगभग 8.5 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष रहा है। 

वहीं, वर्ष 2022-23 में राज्य में प्रोविजनल समुद्री मछली उत्पादन 6,97,151 मीट्रिक टन जबकि अंतर्देशीय मछली उत्पादन 2,07,078 मीट्रिक टन रहने की संभावना है। इस प्रकार, वर्ष 2022-23 में गुजरात राज्य का कुल मछली उत्पादन लगभग 9,04,229 मीट्रिक टन रहने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि गुजरात में देश का सबसे लंबा तटीय क्षेत्र जो कि 1600 किमी. है, मौजूद है जिसका सीधा लाभ यहाँ के मत्स्य किसान और मत्स्य उद्योग को होता है। 

2018 की तुलना में मछुआरों की आय डेढ़ गुना बढ़ी

गुजरात सरकार की सकारात्मक और प्रोत्साहक नीतियों का सीधा लाभ मत्स्य किसानों की आय में देखने को मिला है। पिछले 4 सालों में मत्स्य किसानों की आय में लगभग डेढ़ गुना बढ़ोतरी हुई है। 2018 में मत्स्य किसानों की आय 6.56 लाख रुपए प्रति परिवार/प्रति वर्ष थी जो अब बढ़कर 10.89 लाख रुपए प्रति मत्स्य किसान परिवार/प्रति वर्ष हो गई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार किसानों की आय इस वर्ष वार इस तरह से बढ़ी, वर्ष 2018 में 6.56 लाख, 2019 में 6.80 लाख, 2020 में 7.39 लाख, 2021 में 8.51 लाख और 2022 में 10.89 लाख प्रति परिवार/ प्रति वर्ष गई है। 

‘प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ मछली पालन को दे रही है बढ़ावा 

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ के तहत वर्ष 2022-23 में गुजरात में विभिन्न घटक परियोजनाओं के लिए भारत सरकार द्वारा कुल 286.53 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इससे राज्य में मत्स्य पालन गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की शुरूआत की थी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है जो देश में मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए केंद्रित और सतत विकास के लिए बनाई गई है।

इस योजना का लक्ष्य 2024-25 तक मछली उत्पादन को 70 लाख टन तक बढ़ाना है और 2024-25 तक मत्स्य उद्योग की निर्यात आय को 1,00,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाना है। वर्तमान में भारत में मत्स्य उत्पादन 16248.27 हजार मीट्रिक टन है और निर्यात का आंकड़ा 13,69,264 मीट्रिक टन है। वहीं इस टोटल फिश क्वान्टीटी एक्स्पोर्ट में गुजरात की बात करें तो यह आँकड़ा 16.9 प्रतिशत यानी 2,32,619 मीट्रिक टन है।

गुजरात सरकार कर रही है ब्लू इकोनॉमी को प्रमोट

गुजरात के लंबे समुद्री किनारे की संपूर्ण क्षमता का लाभ लेने के लिए गुजरात की सरकार ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में कई प्रोत्साहन जनक पहलें की हैं। इनमें डीजल में वैट दर में कमी, केरोसीन और पेट्रोल की खरीद पर सब्सिडी की सुविधा, झींगा पालन के तहत ज़मीन, सड़क और बिजली की दी जाने वाली सुविधाएँ, छोटे मछली पकड़ने वाले बंदरगाहों के अधोसंरचना को बेहतर बनाने, माढ़वाड, नवाबंदर, वेरावल-2 और सूत्रपाड़ा में नए चार नए मत्स्य बंदरगाहों का निर्माण और तटीय क्षेत्रों में लगातार मौसम और सुरक्षा को लेकर  जागरुकता जैसे प्रयासों से गुजरात का मछली पालन उद्योग और मत्स्य किसान नित नई उंचाइयाँ छू रहा है।

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