
झारखंड में श्री सम्मेद शिखरजी के पवित्र तीर्थ स्थल पर ईको टूरिज्म की घोषणा का विरोध
सूरत। हाल ही में केंद्र सरकार ने झारखंड राज्य में स्थित श्री सम्मेद शिखरजी के पवित्र तीर्थ स्थल पर ईको टूरिज्म की घोषणा की, जहां 20 तीर्थंकर निर्माण भूमि और लाखों आत्माओं ने सिद्धगति प्राप्त की है। ऐसे पवित्र तीर्थधाम पर इको टूरिज्म की घोषणा से जैन समाज के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है। जिसके कारण आज से भारत में तीन से चार लाख लोग साल में 72 घंटे उपवास करेंगे और लगभग 20 करोड़ लोग नवकार मंत्र का मौन से विरोध कर अपनी भावनाओं का प्रदर्शन करेंगे।
वर्तमान में विभिन्न शहरों में इसका गहरा असर हो रहा है स्वरूप जो कलेक्टरों को याचिका देकर अपना विरोध भी दिखा रहे हैं इसके लिए यदि सरकार जागे और जैन समुदाय की भावनाओं का सम्मान करे और इस अधिसूचना को न हटाए तो जैन समुदाय अभी भी अहिंसा के माध्यम से आक्रामक कदम उठाने के लिए इकट्ठा होगा, इसलिए सरकार से मांग की है कि इस अधिसूचना को हटा दें।
हमारी धार्मिक भावनाओं को महसूस करते हुए, हमारे सबसे पवित्र और पूजा स्थल पालीताना शत्रुंजय महातीर्थ पर भी आक्रमण किया जा रहा है। उन्होंने ऐसे देवताओं को तोड़ा है और हमारे दिल की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जैन समाज हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलता रहा है और उसी रास्ते पर हम लोग हमेशा उम्मीद करते हैं कि हमारी भावनाओं की रक्षा के लिए सरकार हमारे साथ रहे।