बच्चों में बचपन से ही माता पिता धर्म संस्कार भी देवें -अदिती राधे
अड़ाजण के आनन्द महल रोड़ स्थित श्रेणिकपार्क प्रांगण में बुधवार को कथा का तीसरा दिन था। व्यास पीठ से बालव्यास अदिती राधे ने सर्व प्रथम श्री मद भागवत जी की आरती करके तीसरे दिन की कथा का शुभारंभ किया।
कथा का प्रारंभ भक्त बालक ध्रुव की कहानी से हुआ जहां उन्होंने ईश्वर की गोद में बैठने की प्रतिज्ञा लेकर उसे अपनी तपस्या से प्राप्त किया। कथा के दौरान भगवान कपिल मुनि अवतार का चित्रण देखने को मिला कपिल मुनि विष्णु के छठे अवतार हैं कपिल मुनि की माता का नाम देवहुति और पिता का नाम करधन ऋषि था।
आगे अदिति जी ने अपने श्री मुख से मीराबाई व करमा बाई की कथा का सारांश बताते हुए भगवत भक्ति की महिमा को बताया।
गर्भ में जीव कब आता है? क्या गर्भ धारण करते ही गर्भ में जीव आ जाता है? क्या वह गर्भ कुछ समय तक बस मांस का टुकड़ा ही होता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने को मिले गर्भ गीता की कहानी को सुनकर।
आज की कथा का सबसे महत्वपूर्ण और रोमांचक आयोजन था शिव विवाह
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने सबसे पहले सती से विवाह किया था. भगवान शिव का यह विवाह बड़ी जटिल परिस्थितियों में हुआ था. सती के पिता दक्ष भगवान शिव से अपने पुत्री का विवाह नहीं करना चाहते थे लेकिन ब्रह्मा जी के कहने पर यह विवाह सम्पन्न हो गया. माता सती ने जब अग्नि में प्रवेश ले लिया तो अगले जन्म में उन्होंने हिमवान के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया। इस बार फिर शिव ने पार्वती से विवाह किया।अपनी सुमधुर आवाज में उन्होंने सुंदर भजन भी प्रस्तुत किए एवं शिव विवाह सम्पन्न होने पर उपस्थित भक्त भावविभोर होकर नृत्य करने लगे।
इस आयोजन के मुख्य मनोरथी मंजू विनोद पौद्वार(कोटा वाले) है।कथा 27 फरवरी तक चलेगी। प्रत्येक दिवस सुबह 9बजे से 12 बजे तक व्यासपीठ से अदिती राधे श्रद्धालुओं को कथाम्रत का रसपान कराएगी।
आयोजन से जुड़े सुनील माहेश्वरी, राजेश शर्मा, हर्ष जैन ने बताया कि भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को कृष्ण रूक्मिणी विवाह का आयोजन एवं उसका वृतांत सुनाया जाएगा एवं उन्होंने सभी भगवत प्रेमियों को सादर आमंत्रित किया है।