कलयुग के उत्थान के लिए ही श्री कृष्ण ने अवतार लिया : अदिती राधे
सूरत। अड़ाजण के आनन्द महल रोड़ स्थित श्रेणिकपार्क प्रांगण में गुरुवार को कथा का चतुर्थ दिन था। व्यास पीठ से बालव्यास अदिती राधे ने सर्व प्रथम श्री मद भागवत जी की आरती करके चतुर्थ दिन की कथा का शुभारंभ किया। व्यास पीठ से बाल किशोरी अदिति राधे जी ने अपने मधुर स्वर में भगवान के अवतारों की कई लीलाओं का वर्णन किया। कथा का प्रारंभ भक्त प्रहलाद की कहानी से शुरू हुआ। भक्त प्रहलाद की कहानी के माध्यम से यह प्रेरणा मिलती है कि अगर हम अपने संकल्प में और ईश्वर में दृढ़ विश्वास रखते हैं तो भगवान स्वयं प्रकट होते हैं।
वामन भगवान विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मनुष्य के रूप में प्रकट हुए। पौराणिक कथाओं के अनुसार वामन ने राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदमो में तीनों लोक नाप दिया था।
एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सती अनसूया के सतित्व और ब्रह्मशक्ति परखने की सोची। जब अत्रि ऋषि आश्रम से कहीं बाहर गए थे तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने यतियों का भेष धारण किया और अत्रि ऋषि के आश्रम में पहुंचे तथा माता अनुसूया से विचित्र मांग की।
माता अनुसूया ने अपनी सतीत्व के बल पर तीनों देवताओं को बाल रूप ने बना दिया। और उन्हें दूध पान करवाया। जब तीनों देवियां लक्ष्मी पार्वती और सरस्वती जी अपने पतियों को ढूंढते हुए मां अनुसूया के घर आएंगे तब बहुत विनती करने पर उन्होंने उन्हें फिर से अपने स्वरूप में परिवर्तित किया और भगवान से आशीर्वाद मांगा की वह उन्हें उनकी कोख से जन्म ले। कालान्तर में भगवान दतात्रेय रूप में भगवान विष्णु का, चन्द्रमा के रूप में ब्रह्मा का तथा दुर्वासा के रूप में भगवान शिव का जन्म माता अनुसूया के गर्भ से हुआ।
विष्णु के राम अवतार का जो हम रामायण में देखते हैं संक्षिप्त में वर्णन किया गया रामचंद्र स्तुति के साथ सभी भक्तों ने भाव विभोर होकर राम स्तुति का गान किया।भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के चरित्र में प्रदर्शित त्याग और तपस्या की बातों को निरंतर श्रवण करते रहने से सुनने वाले के अंदर भी ऐसे ही महान गुणों का समावेश हो जाता है।
जैसे कि श्रीमद् भागवत कृष्ण की लीलाओं के लिए मुख्य रूप से जानी जाती है तो आज कृष्ण जन्म के महोत्सव को बहुत विस्तार से कथा वाचक श्री राधे जी ने बताया और कथा आयोजक के परिवारजनों ने विभिन्न स्वरूप की झांकियां प्रस्तुत की।
आज के व्याख्यान की सबसे महत्वपूर्ण सीख यह रही कि अहंकार का सबसे बड़ा शत्रु आनंद है। जहाँ आनंद और प्रेम है वहाँ अहंकार टिक नहीं सकता, उसे झुकना ही पड़ता है।प्रेम, सादगी और आनंद के साथ सामना होने पर अहंकार स्वतः ही आसानी से ओझल होने लगता है । श्री कृष्ण आनंद के प्रतीक हैं, सादगी के सार हैं और प्रेम के स्रोत हैं।
श्री कृष्ण जन्मोत्सव
अपनी सुमधुर आवाज में उन्होंने सुंदर भजन भी प्रस्तुत किए एवं श्री कृष्ण जन्म सम्पन्न होने पर उपस्थित भक्त भावविभोर होकर नृत्य करने लगे एवं बधाईयां दी।
इस आयोजन के मुख्य मनोरथी मंजू विनोद पौद्वार(कोटा वाले) है। कथा 27 फरवरी तक चलेगी। प्रत्येक दिवस सुबह 9बजे से 12 बजे तक व्यासपीठ से अदिती राधे श्रद्धालुओं को कथाम्रत का रसपान कराएगी।
आयोजन से जुड़े सुनील माहेश्वरी, अशोक मोर,हर्ष जैन ने बताया कि भागवत कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को गौरधन लीला एवं छप्पन भोग का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने इस प्रसंग का लाभ लेने के लिए सभी भगवत प्रेमियों को सादर आमंत्रित किया है।