सूरत

सूरत : मेगा टेक्सटाइल पार्क में बड़ी और छोटी इकाइयां शामिल होनी चाहिए

बड़े प्लॉट केवल बड़े उद्योगपति ही खरीद सकते हैं , छोटे उद्यमी भी 500 मीटर तक के छोटे प्लॉट खरीद सके ऐसा आयोजन होना चाहिए

सूरत के पास उभाराट में पीएम-मित्रा पार्क की घोषणा की गई है। पार्क को लेकर इंडस्ट्री में बहस चल रही है। 500 मीटर तक के भूखंडों की योजना बनाई जाए ताकि छोटे कारखानदारों को इस पार्क का अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

पार्क में 2 हजार, 5 हजार मीटर के प्लॉट बड़े उद्योगपतियों के काम आएंगे। लेकिन अगर 40-50 करघे वाला छोटा निर्माता व्यवसाय में आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे क्या करना चाहिए? छोटे आकार का प्लॉट न हो तो छोटा आदमी प्लॉट लेने की सोच भी नहीं सकता।

पिछले 24 वर्षों में कोई नया जीआईडीसी नहीं बनाया गया है। बारडोली में तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने जीआईडीसी के गठन की घोषणा की थी। जो अभी तक नहीं हुआ है। जीआईडीसी 2000-5000 मीटर या वार प्लॉट सालों पहले बनाए गए थे। जिन्हें बहुत ही नगण्य लागत पर आवंटित किया गया था।

उद्योग टेक्सटाइल पार्कों के माध्यम से फल-फूल सकता है। यह उन्हें आधुनिक मशीनरी का उपयोग करके दोष रहित वस्त्र बनाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगा। लेकिन जब छोटे उद्यमी मेहनत कर व्यापार में आगे बढ़ते हैं तो उन्हें भी अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिलना चाहिए।

पीएम-मित्रा पार्क के लिए जमीन का चयन हो गया है, अब पार्क को बड़े उद्योगपतियों के साथ-साथ छोटे उद्योगपतियों को भी किफायती दामों पर प्लॉट उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए। मयूर गोलवाला ने कहा कि अगर बड़े उद्योगपतियों और कॉरपोरेट्स को टोकन के साथ जमीन आवंटित की जाती है, तो सरकार को भी छोटे आदमी के लिए सोचना चाहिए।

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