सूरत : वेसू में दीक्षार्थी देवेश के मधुर संगीत से श्रद्धालु हुए सराबोर
देवेश द्वारा रचित 27 गीतों से सजी पुस्तक का विमोचन
सूरत के वेसू क्षेत्र के विजयलक्ष्मी हॉल में शनिवार की शाम को संयम के गीतों की अनूठी सरगम बजी। एक के बाद एक भक्ति और संयम के गीत गाए गए और हजारों भक्तों के दिल मंत्रमुग्ध हो गए।
प.पू . विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा की त्रिपदी से रोमरोम से रंगा सूरत के रातडिया परिवार में दीक्षा 100 साल बाद हो रही है। परिवार की चौथी पीढ़ी के संगीतकार, दीक्षार्थी देवेश की पहल पर 18 से 22 अप्रैल तक श्री शांति-जिन श्वे. मू. तपागच्छ जैन संघ-अध्यात्म परिवार के तत्वाधान में अहमदाबाद में आयोजित वीरव्रतोत्सव सामूहिक दीक्षा में दीक्षा लेंगे।
इस दीक्षा महोत्सव से पहले देवेश के परिवार ने 30 और 31 मार्च को सूरत के विजयलक्ष्मी हॉल में ‘देवेश योग सरगम’ नाम से एक भव्य महोत्सव का आयोजन किया। जिसके तहत पहले दिन शनिवार की शाम देवेशकुमार ने रजोहरण के समक्ष अपनी मधुर आवाज से सैकड़ों संयम प्रेमियों को संयम की धुन पर झूमने पर मजबूर कर दिया। यह शायद जैन धर्म का पहला उदाहरण है जिसमें दीक्षार्थी ने स्वयं संयमसुर को संगीत के माध्यम से गाया है।
शाम 7.30 बजे जब दीक्षार्थी देवेश विभिन्न वाद्य यंत्रों से सुसज्जित संगीत मंच पर पहुंचे तो पूरा हॉल जिनशासन के जयकारों से गूंज उठा। मंच की पृष्ठभूमि में एक तरफ संगीत वाद्ययंत्र और दूसरी तरफ दीक्षा का प्रतीक ओघा रखा गया था। मंच के दोनों ओर उस्ताद थे। ऐसे माहौल में जब देवेश ने मंच से शासन-प्रशासन के गीत गाए तो शासन-समर्थक एक अनोखे भाव में डूब गए। पूरे हॉल में एक सन्नाटा सा छा गया। केवल देवेश की आवाज और मधुर संगीत ही सभी को सचेत करने का आधार बन गया।
श्री अजित-शांति गाथाओं और स्तुतियों के साथ संगीत यात्रा की मधुर शुरुआत हुई। बाद में ईश्वर की भक्ति को अभिव्यक्त करने वाली इस सुरीली यात्रा के बीच देवेश द्वारा रचित 27 गीतों से सजी पुस्तक का विमोचन भी हुआ। सम्पूर्ण संयम सूर स्पर्श का संवेदन प्रसिद्ध पारखी नयसार, हितसार एवं रवीन्द्रभाई सी.ए. द्वारा किया गया। इससे पहले सुबह 9.30 बजे नीलेशभाई राणावत के संगीत के साथ अलौकिक स्नात्र महोत्सव हुआ।