
सूरत : डिंडोली खरवासा नहर में अर्धविसर्जित 300 से ज्यादा दशामाता की मूर्तियाँ आस्था के साथ पुनः विसर्जित
अर्धविसर्जित पीओपी मूर्तियों को निकालकर हजीरा स्थित तट पर पुनः विसर्जित किया
सूरत। डिंडोली खरवासा नहर में अर्धविसर्जित 300 से ज्यादा दशामाता की मूर्तियाँ आस्था के साथ पुनः विसर्जित की गई। हर साल दशामाता की मूर्ति की स्थापना बड़ी आस्था के साथ की जाती है। जब भी विसर्जन की प्रक्रिया पूरी होती है, तो उसके बाद के दृश्य बेहद भावुक कर देने वाले होते हैं। खासकर, माता की मूर्तियों को बेहद खराब तरीके से विसर्जित करने वाले दृश्य देखने को मिलते हैं। जिस माता की पूजा बड़ी आस्था से की जाती है, उन्हीं की मूर्तियों को विसर्जित करने का यह कैसा तरीका है? मानो भक्त मूर्तियों को सड़क पर ही छोड़कर चले जाते हैं।
सांस्कृतिक रक्षा समिति द्वारा संचालित श्री माधव गौशाला के 50 से ज्यादा गौसेवकों ने डिंडोली और खरवासा की नहरों में तैरती आधी डूबी दशामाता की मूर्तियों को हजीरा के दरिया में पुनः विसर्जित किया। ऐसी स्थिति हर साल देखने को मिलती है, लेकिन फिर भी दशामाता के भक्तों में कोई खास फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है। दस दिनों से श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई मूर्ति का विसर्जन यदि विधिवत न किया जाए तो स्थापना निरर्थक मानी जाती है। विधिवत विसर्जन किए बिना मूर्तियों को अर्धविसर्जित अवस्था में कहीं भी छोड़ देना मानो परंपरा सी बन गई है।
सांस्कृतिक संरक्षण समिति द्वारा संचालित श्री माधव गौशाला के अध्यक्ष आशीष सूर्यवंशी ने बताया कि उधना क्षेत्र की श्री माधव गौशाला के उधना, पांडेसरा, बामरोली और डिंडोली के 50 से अधिक युवाओं ने डिंडोली और खरवासा नहरों से दशामाता की 300 से अधिक अर्धविसर्जित पीओपी मूर्तियों को निकालकर हजीरा स्थित तट पर पुनः विसर्जित किया।