सूरत : बेटी के शादी में गौ दान अवश्य करें और गौ माता को साथ में दें : साध्वी कपिला दीदी
श्री महेश मित्र मंडल द्वारा आयोजित पांच दिवसीय गौ कथा की पूर्णाहूति आज
शहर के सिटी लाईट स्थित माहेश्री भवन में श्री महेश मित्र मंडल सूरत के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय गौकथा के चतुर्थ दिन बुधवार को खचाखच भरे पंडाल में परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने भगवती गौ माता का महात्म्य बताते हुए कहा कि गौ माता का आशीर्वाद 10 जन्मों तक बना रहता है।
परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने कहा कि शादी विवाह में अनेकों प्रकार की वस्तुएं प्रदान की जाती है लेकिन इन सबके साथ गौमाता को दान के रुप में अवश्य देना चाहिए, जो बेटियां अपने साथ ससुराल में गौ माता को लेकर जाती हैं, उसका जीवन बहुत खुशहाल रहता है।
श्री दीदी ने गौ माता का महात्म्य बताते हुए कहा कि हम सभी सनातन धर्मियों को बेटी का विवाह गौ भक्त परिवार में एवं गौशाला तथा गौमाता जहां रहती हो उस स्थान पर संपन्न कराना चाहिए। साथ ही शादी में व्यंजन भले ही कम कर दें, लेकिन शादी में बनाये जाने वाले विविध प्रकार के व्यंजन (प्रसाद) बनाने में वेदलक्षणा गौ माता एवं सेवित गौ माता के घी, दूध, दही आदि का उपयोग किया जाना चाहिए। प्रसाद तैयार हो जाने के बाद 13 थालियां अलग-अलग लगाएं, जिसमें 12 थालियां गौ माता को और एक थाली नंदी बाबा को परोसे, इससे शादी विवाह में किसी प्रकार की खाद्य पदार्थ यानी प्रसाद की कमी नहीं होती है।
श्री दीदी ने दान के बारे में बताते हुए कहा कि दान करें तो दिखावा न करें। उन्होंने दानवीर कर्ण की चर्चा करते हुए कहा कि याचक बनकर विप्र रूप में आए भगवान श्री ठाकुर को भी दानवीर कर्ण ने दान देने से परहेज नहीं किया। श्री दीदी ने बल्लभदास की शादी के बाद संयोगिता के ससुराल में खुश रहने तथा बल्लभ दास के दोनों बहने की दोनों की शादी उनके संतान होने तथा बल्लभदास एवं संयोगिता के संतान नहीं होने पर बल्लभदास श्रीनाथ जी के चरणों में जाते हैं, जहां अनेकों विधि-विधान करने के बाद अंत में गौ माता के चरण में जाते हैं, जहां बल्लभदास की सेवा से संयोगिता को संतान की प्राप्ति होती है।
श्री महेश मित्र मंडल के अध्यक्ष परमानंद राठी ने कहा कि पांच दिवसीय गौकथा का गुरुवार को पूर्णाहूति होगी। सभी का स्वागत किया व कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने ज्यादा से ज्यादा गौभक्तों को कथा श्रवण का लाभ लेने की अपील की। आज दिनांक 16 नवम्बर को आरती में यादव जी कोठारी परिवार, राजेंद्र जी चांडक परिवार , प्रेमनारायण जी राठी परिवार, वॉकिंग टॉकिंग परिवार सम्मिलित हुए थे।
जिस घर में पारीवारिक क्लेश होता हैं वहां लक्ष्मीजी नहीं जाती
श्री दीदी ने कहा कि बेटा मां का लाडला एवं बेटी पिता की लाडली होती है। विदाई के समय पिता बहुत दुखी होता है और उसके आंखों से आंसू निकलते हैं। परिवारों में अधिकांश महिलाओं की वजह से कलह होता है। सास-बहू आपसी तालमेल मिल जाए तो घर स्वर्ग बन जाता है। अपने घर की बेटी ही किसी घर की बहू होती है। माताओं को बहू को बेटी समान समझना चाहिए और सास-बहू साथ में सत्संग किया करें या सत्संग में जाएं तो सत्संग से कब जीवन बदल जाएगा कुछ कहा नहीं जा सकता। जिस घर में सास-बहू की लड़ाई हुआ करती है, वहां लक्ष्मी नहीं जाती यानी वहां विपन्नता देखने को मिलती है।