Murari bapu
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धर्म- समाज
जहां मन बुद्धि चित्त और अहंकार विसर जाता है वहां समाधि है, वही परम प्रेम है : मुरारी बापू
परम प्रेम सन्यास है। उसे मैं प्रेमाष्टक कहता हुं।। परम प्रेम में उठाना और गिरना भी सन्यास है।। राम में…
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परम प्रेम सन्यास है। उसे मैं प्रेमाष्टक कहता हुं।। परम प्रेम में उठाना और गिरना भी सन्यास है।। राम में…
Read More »रामचरितमानस स्वयं रामरक्षा है। उद्योग से धनवान हो सकेंगे,उद्यम से धन्यवान।। सुनु मुनि तोहि कहउ सहरोसा। भजहि जे मोहि तजि…
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