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स्टीम हाउस का उद्देश विविध उद्योगों से वायु प्रदूषण कम करना है : विशाल एस. बुधिया

स्टीमिंग-रिवोल्युशन: स्टीम-हाउस कम्युनिटी बॉयलर का कन्सेप्ट

सूरत: अब तक उद्योगों को लगता था कि स्टीम को उत्पादन करने का एकमात्र तरीका बॉयलर है और इसे स्थापित करने के लिए बड़ी जगह लगेंगी, काम पर अतिरिक्त कर्मचारी रखने पड़ेंगे, आईबीआर, एसपीसीबी और फैक्ट्री सेफ्टी की 3 अलग-अलग मंजूरी लेनी पड़ती है। स्टीम हाउस कम्युनिटी बॉयलर के कॉन्सेप्ट से परिवर्तन आया है। जहां उद्योगों को प्लग और प्ले के आधार पर स्टीम मिलता है। जिसके कारण उद्योगों के पास मूल व्यापार के लिए बड़ी जगह, अतिरिक्त कर्मचारी रखने से मुक्ति मिलती है और कानूनी खर्च भी बचता है। इसके अलवा श्रेष्ठ गुणवत्तावाली स्टीम मिलती है। स्टीम आपूर्ति के लिए सम्पर्क के लिए सीधा पाइंट मिलता है।

भारत में इस प्रकार का स्टीम हाउस प्रथम संगठन

स्टीम हाउस भारत में इस प्रकार का प्रथम संगठन है। 2014 में इसकी स्थापना हुई थी। इसका उद्देश विविध उद्योगों से प्रदूषण कम करना है। कई कंपनियों को स्टीम हाउस विविध सेवा देती है। एक सामान्य बॉयजर 20 से 30 बॉयलर को रिप्लेस कर सकता है, वहीं कम्युनिटी बॉयलर 30 हजार से 1500 संख्या को घटाता है और 28,500 बॉयलर चीमनी और एमिशन को घटाता है। शहरों में करीबन 45 फीसदी वायु प्रदूषण में उद्योग जिम्मेदार है।

अपने औद्योगिक विस्तार में चीमनी में से काला धुंआ निकलता देखा होगा। ईएसपी ( इलेक्ट्रॉस्टेटिक प्रिसिपीटेटर ड्राय ) आधारित बॉयलर का ऑटो ऑपरेशन और तज्ञ इंजीनियर वायु प्रदूषण को घटाने की क्षमता रखते है। स्टीम हाउस कोयला, कोयले की राख और कोयले के संग्रह के वैज्ञानिक और स्वचालित संचालन द्वारा उत्सर्जन घटाने में सक्षम है। औद्योगिक विस्तार और शहर में समान तौरपर टिकाउ उर्जा लाने के विजन के साथ, प्रमोटर्से सचिन जीआईडीसी, सूरत में उनका प्रथम सामुहिक बॉयलर प्रोजेक्ट शुरू किया, जो आसपास के कई औद्योगिक इकाईयों को स्टीम की जरूरत पूरी करता है।

स्टीम हाउस में से 150 से ज्यादा उद्योगों को दी जा रही सेवा

स्टीम हाउस स्टीम बेचकर हाल के उद्योगों द्वारा चिमनी में से निकलने वाले धुएं के वातावरण में PM-5 और PM-10 फैलाता है, जो अस्थमा और कैंसर जैसे बीमारियों का कारण बनता है, जिससे मुक्ति मिलती है और दूसरी ओर स्टीम हाउस उद्योग को अनुकुल स्टीम प्रदान करता है। सामान्य बॉयलर आधारित स्टीम जनरेटिंग सिस्टम का उपयोग करने से उत्पादन खर्च में 25 से 30 प्रतिशत गिरावट आती है। उच्च गुणवत्ता की स्टीम के कारण, उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जो 12 प्रतिशत के आउटपुट दर्शाता है।

स्टीम हाउस, छोटे औद्योगिक व्यवसाय को उनके कानूनी जिम्मेदारी में से राहत देता है और स्टीम जनरेशन के कारण होनेवाले वायु प्रदूषण घटाकर पर्यावरणीय जिम्मेदारी का पालन करना है। स्टीम हाउस में से 150 से ज्यादा उद्योगों को सेवा दे रहे है। वापी जीआईडीसी , दक्षिण गुजरात अंकलेश्वर जीआईडीसी और 60 ज्यादा उद्योग ऑपरेशन और निपुण गुजरात की जीआईडीसी में शामिल है।

स्टीम औद्योगिक क्लस्टरों में प्रदूषण घटाने में मददरूप

स्टीम हाउस के एमडी विशाल एस बुधिया, स्टीम उद्योगों को कम लागत और 30 से 60 टन प्रति घंटे की क्षमता के साथ औद्योगिक क्लस्टरों में प्रदूषण घटाने में मददरूप स्टीम देता है। इसका AFBC (एटमोस्फेरिक फ्लुइडाइज्ड बेड कम्बशन ) बॉयलर्स की कार्यक्षमता 83 प्रतिशत है, जो उत्सर्जन के जत्थे को 70 प्रतिशत तक घटाता है। इस SCx और NOx स्तरों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित धोरणों से नीचे रखता है। वे इंडोनेशिया के पास से ज्यादा कार्यक्षम और कम सल्फरयुक्त कोयला खरीदते है।

स्टीम हाउस की लोकप्रियता के कारण समय में महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भी सेवा देंगे। पिछले तीन साल में 75 प्रतिशत के चक्रवृद्धि दर (CAGR) से स्टीम हाउस की आय बढ़ी है। स्टीम हाउस कंपनी के विकास को प्रोत्साहन देने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उपयोगी नवाचार व्यवसाय और सामाजिक मुद्दों का निवारण में मददरूप है।

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