सूरत एयरपोर्ट के लिए चलाए गए आंदोलन और संघर्ष की कहानी सांसद सीआर पाटिल के जुबानी
सूरत का टेक ऑफ पुस्तक का विमोचन
सूरत। सरसाणा कन्वेशन सेंटर के प्लेटिनम हॉल में रविवार को सूरत एयरपोर्ट के इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचने की कहानी दर्शाती पार्षद दिनेश राजपुरोहित लिखित पुस्तक सूरत का टेक ऑफ…का सांसद सीआर पाटिल के हाथों विमोचन किया गया।
इस अवसर पर गुजरात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नवसारी सांसद सीआर पाटिल ने कहा कि किसी भी शहर के ग्रोथ के लिए कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है। सूरत के एयरपोर्ट को यहां तक पहुंचाने में सूरत के लोगों की अहम भूमिका रही है।
उन्होंने संबोधन में सूरत एयरपोर्ट के लिए चलाए गए आंदोलन और संघर्ष के बारे में कहा कि सूरत के पास एयरपोर्ट तो था, लेकिन एक भी फ्लाइट यहां से उड़ान नहीं भरती थी। कोई भी कंपनी यहां से फ्लाइट शुरू करने को तैयार नहीं थी। जिससे आंदोलन करना पड़ा। उसके बाद सूरत से दिल्ली की एक फ्लाइट शुरू हुई, लेकिन वह भी बंद हो गई थी। वर्ष 2014 में जब केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आई तो सूरत एयरपोर्ट का किस्मत पलट गई।
हालांकि उसके बाद भी विमान कंपनियां सूरत से फ्लाइट शुरू करने में हिचकिचा रही थी, तब सूरत के उद्यमियों ने साथ दिया। सूरत देश का पहला ऐसा शहर था, जिसे एयर कनेक्टिविटी के लिए बैंक गारंटी देनी पड़ी, लेकिन इसके बाद सूरत एक के बाद हवाई मार्ग से देश के कई शहरों से जुड़ता गया और अब इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन चुका है। इसका श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह सूरत के लोगों को जाता है।
इस अवसर पर मंत्री मुकेश पटेल, विधायक संदीप देसाई, मेयर दक्षेश मावाणी, स्थाई समिति अध्यक्ष राजन पटेल, उद्यमी जितेन्द्र वखारिया, रजनीकांत मारफतिया, अनिल रूंगटा, राकेश कंसल, संजय सुराणा, सांवरप्रसाद बुधिया, फोस्टा अध्यक्ष कैलाश हाकिम, महेन्द्र कतारगामवाला, मुकेश पटेल, दिनेश नावडिया, डॉ. निर्मल चोरारिया, आर्किटेक्ट संजय जोशी उपस्थित रहे।