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पर्यावरण संरक्षण के लिए पूर्वजों की पद्धति की ओर लौटने की आवश्यकता : सरसंघचालक मोहन भागवत

मानव जीवन में रहे अहिंसा का प्रभाव : आचार्य महाश्रमण

सूरत। वेसू महावीर समवसरण में आचार्य महाश्रमण की मंगल सन्निधि में गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत उपस्थित हुए। महावीर समवसरण में उपस्थित श्रद्धालु जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आयारो आगम के माध्यम से मंगल संबोध प्रदान करते हुए कहा कि हमारे इन आगमों के माध्यम से अतिन्द्रिय विषयक बातें भी प्राप्त होती हैं और विभिन्न विषयों का वर्णन भी यहां प्राप्त होता है। धर्म से जुड़े हुए शास्त्र हैं तो अहिंसा की बात बहुत ही अच्छी मात्रा में प्राप्त हो जाती है। यहां एक अहिंसा का सूत्र दिया गया है कि प्राणी जगत की समस्त आत्माएं समान होती हैं।

भगवान महावीर युनिवर्सिटी द्वारा पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में ‘हरित’ कार्यक्रम के अंतर्गत ‘वाइस चांसलर कॉनक्लेव’ का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से काफी संख्या में वाइस चांसलर उपस्थित रहे। आरएसएस

सरसंघचालक श्री मोहन भागवतजी ने भी अपने संबोधन में कहा कि दुनिया में पर्यावरण पर बात तो बहुत हो रही है, उसके लिए कुछ करने लायक बातों को आगे बढ़ाने का प्रयास हो। मनुष्य को विज्ञान नामक हथियार मिलने बाद वह अपनी कामनाओं के वशीभूत होकर मर्यादा का लंघन कर स्वयं को दुनिया का मालिक मान बैठा था, लेकिन आज विज्ञान भी मानने लगा है कि कोई ऐसी शक्ति है जो सृष्टि का संचालन कर रही है।

प्रकृति के साथ चलने के बात बहुत पहले शंकराचार्यजी ने बताई थी। हमारे ऋषि, महर्षि ने इतनी सुन्दर व्यवस्था बनाई थी, उस ओर हमें पुनः धीरे-धीरे तर्कसंगत रूप में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। आप सभी गुरुजन यहां उपस्थित हैं तो बच्चों को उन पुरातन तथ्यों से अवगत कराएं और प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर चलने के लिए प्रेरित करें।

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