धर्म- समाज

ज्ञान की खोज में कोई सीमा नहीं होती : सैयदना साहब

सैयदना साहब का 81 वा जन्मदिवस भव्य तरीके से मनाया गया

सूरत। सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब के पिता और 52 वे दाई अल-मुतलक डॉ.सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन के इंतकाल के बाद सैयदना मुफद्दल साहब अपने पिता के जन्मदिन के दिन पर उनकी याद में अपना जन्मदिन मनाते है। इस साल सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दी साहब की 114 वी जन्मयंती और सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब के 81 वे जन्मदिन को मनाया गया। जन्मदिन मनाने के लिए दुनिया भर से समुदाय के लगभग 80,000 लोग सूरत में एकत्र हुये।जिससे सूरत के झाम्पा बाजार की संकरी गलियां और मोहल्ले आनंद और उत्साह से भर गए।

सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने अपने जन्मदिन के अवसर पर सूरत की मस्जिद अल-मोज्जम में उपदेश दिया। जिसमें सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने ज्ञान को महत्व देने और आजीवन शिक्षा प्राप्त करने के महत्व पर जोर दिया।विभिन्न उदाहरणों और उपमाओं का हवाला देते हुए, उन्होंने समुदाय से शिक्षा की अपनी खोज में लगे रहने का आग्रह किया ताकि वे किसी भी बाधा का सामना करने के लिए तैयार रहें। सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने आगे कहा कि ज्ञान की खोज की कोई सीमा नहीं है, जिससे व्यक्तियों को जीवन के हर चरण में शैक्षिक अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

22 अक्टूबर को जन्मदिन की पूर्व संध्या पर, दाउदी व्होरा समुदाय के लोगों ने अपनी बेहतरीन पोशाक पहनकर झापा बाजार में एक मिलाद उत्सव जुलूस में भाग लिया। सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने देवड़ी मुबारक पर बने मंच से विभिन्न थीम पर निकले भव्य जुलूस का अवलोकन किया। देवड़ी मुबारक जो समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण स्थान है, सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब का पैतृक निवास और समुदाय की सदियों पुरानी अल्जामिया-तुस-सैफियाह अरबी अकादमी है।

सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब के जन्मदिन का अवसर एक वार्षिक शैक्षिक सेमिनार के समापन के साथ मेल खाता है जिसे ‘इस्तिफादा इल्मिया’ के नाम से जाना जाता है। दो सप्ताह और कई चरणों में आयोजित इस शैक्षिक सत्र में देश और विदेश से हजारों दाऊदी व्होरा समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया।

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