रामजी को पाने के लिए निर्मल मन और प्रेम के वसीभूत होना ज़रूरी : सुश्री संगीता दीदी
सूरत। एकल श्री हरि द्वारा तीन दिवसीय श्री राम कथा का समापन बुधवार हो हुआ । वीआईपी रोज़ स्थित श्री श्याम मंदिर के लखदातार हॉल में आयोजित कथा के अंतिम दिन व्यासपीठ से वनवासी कथाकार सुश्री संगीता दीदी ने कहा कि रामजी प्रेम के वसीभूत तो मिलते ही हैं लेकिन उनको पाने के लिए निर्मल मन होना चाहिए । राम जी वनों में जाकर यदि वनवासियों को गले नहीं लगाते तो रामराज की स्थापना नहीं हो पाती और वह भगवान भी नहीं बन पाते।अपने पिता राजा दशरथ के तरह ही राजा राम ही कहलाते।
जब तक नगर वासी ग्रामवासियों के साथ प्रेम का सेतु निर्माण नही करेंगे तब तक भारत हिंदू राष्ट्र नही होगा। हिंदू राष्ट्र का एक मात्र साधन वनवासियों को गले लगाना है। यह जीवन भी एक यज्ञ है इस यज्ञ को विकार रूपी दानव हस्तक्षेप करते है। मत्सर रूपी दानवों का अंत तभी होगा जब सत्य रूपी राम और समर्पण रूपी लक्ष्मण अपने जीवन में लाएंगे।
इस दौरान दीदी ने यज्ञ रक्षा, धनुष यज्ञ, राम विवाह, वन गमन, राज्याभिषेक का प्रसंग सुनाया एवं भजनों की प्रस्तुति से सभी को भाव-विभोर किया।
इस मौक़े पर एकल श्री हरि के महेश मित्तल, रतन दारूका, रमेश अग्रवाल, विश्वनाथ सिंघानिया, पवन झुनझुनवाला, महिला समिति से मंजू मित्तल, कुसुम सर्राफ, कांता सोनी, सुषमा दारूका, सुषमा सिंघानिया, सुमन जालान, अंजू अग्रवाल, प्रेरणा भाऊवाला सहित अनेकों सदस्य उपस्थित रहें।