
विश्व एड्स दिवस : एचआईवी ग्रसित लोगों को मुख्य धारा में शामिल करने का प्रयास किया जाए
आज विश्व एड्स दिवस मनाया जा रहा है। एक दिसम्बर एड्स दिवस के रूप में पूरा विश्व मना रहा है। जानलेवा महा भयंकर एड्स रोग का नाम सुनते ही लोग कांप उठते है। इस भयानक रोग का कोई इलाज नही है। इतना जरूर है कि नियमित दवाइयां लेने और समय समय पर स्वास्थ्य जांच कराने पर मरीज वर्षो तक तंदुरुस्त रह सकता है।1985 में पहला मरीज मिलने के बाद में विश्व मे खलबली मच गई। धीरे धीरे पूरे विश्व मे यह बीमारी फैलने लगी। शुरुआती दौर में एचआईवी के मरीजों की मौते भी बहुत होती थी। मेडिकल साइंस एक्टिव होने के बाद दवाइयां बाजार में आने के बाद मरीजो को लंबे समय तक जीवनदान मिलना शुरू हो गया। हररोज दवाइयां लेने के बाद सुखी जीवन जिया जा सकता है। इस जानलेवा और भयंकर बीमारी में दाम्पत्य जीवन भी जिया जा सकता है। एचआईवी की दवाई लेने वाले मरीजों को पोष्टिक आहार लेना चाहिए, जिसे सुखी जीवन जिया जा सकता है।
अब कोई भी बीमारी का इलाज दवाइयों का नुस्खा तैयार करके ही नही किया जाता है। दवाइयों के साथ चिकित्सा अधिकारी द्वारा विस्तृत समझाया जाता है। स्वास्थ्य की देखरेख के प्रति इस बदलाव के पीछे कुछ हद तक लंबी खींचने वाली बीमारियों के मामलों में कमी है।एड्स कभी खत्म नही होती है।इसका इलाज और नियमो का पालन कर जीवन लम्बा किया जा सकता है। हद से हद उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। एड्स के लिए गंभीर मरीजो के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। सरकार एड्स की बीमारी के पीछे पानी की तरह पैसा बहा रही है। इस भयंकर बीमारी को हल्के में नही लेना चाहिए। देश मे आज विश्व एड्स दिवस पर कर्मचारियों की सेवा को ध्यान में रखकर सम्मानित करने का भी आयोजन किया जाता है। एड्स की बीमारी में कमी जरूर आई है।
किसी न किसी कारण कोई एड्स से ग्रसित नही होता है। यह जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली बीमारी है। इस बीमारी से बचने के लिए समानता का ध्यान रखना चाहिए। इसमें सुरक्षित यौन संबंध ही इसका इलाज है। हमे जीवन को बहुमूल्य समझ कर सुरक्षा जरूरी रखे। जीवन मे व्यक्ति परिवार के साथ वफादार रहता है तो इस बीमारी से व्यक्ति कोसो दूर रह सकता है। यह चोरी छुपे घर और परिवार को बर्बाद करने वाली बीमारी है। इससे बचने के लिए सावधानी जरूरी समझें। नियमित रूप से जीवन में अपने विचारों पर कंट्रोल रखे। हम हमारे पर नियमित निगरानी रखे। जरूरत के मुताबिक दवाई की खुराक तय करनी होगी। इस बीमारी में व्यवस्था की ज्यादा जरूरत रहती है। रोगियों को डॉक्टर से नियमित रूप से परामर्श करना चाहिए।
मरीजो को अपनी देखभाल का तरीका सिखाया जाता है। जिससे खतरनाक लक्षण की पहचान की जा सके। एड्स की बीमारी की लोगो मे समझ बढ़नी चाहिए। ज्यादातर इस आधुनिक रोग के बारे में अनभिज्ञ है। गांवो में निरक्षर आज भी असुरक्षित यौन संबंध रखते है। जब आप जीवन मे सच्चाई के साथ जी रहे तो किसी नियम की आवश्यकता नही है। यह कलंक है।इसमें सामाजिक जागरूकता की जरूरत है। देश और विश्व मे तेजी से बढ़ने वाले एड्स रोग में समानता की आवश्यकता है। इस बीमारी में हर रोज 80 युवाओ की मौत होती है। इसमें सरकार की बराबर निगरानी है। जितनी ज्यादा जानकारी उपलब्ध होगी,उतना उपरोक्त बीमारी से बचा जा सकता है।
( कांतिलाल मांडोत )