
हर्ष उल्लास के साथ मनाई रामनवमी
चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन राम नवमी मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ की पहली पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान राम के रूप में मनुष्य जन्म लिया था। हिंदू धर्म मान्यता के अनुसार भगवान राम को विष्णु का 7 वां अवतार माना जाता है।
शात्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में धरती पर असुरों का उत्पात बढ़ गया था। असुर ऋषियों के यज्ञ को खंडित कर दिया करते थे। धरती पर आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने धरती श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। इस बार रामनवमी बुधवार 21 अप्रैल को मनाई गई। 21 अप्रैल को शहर में सभी श्रीराम मंदिरों में भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया गया। कोरोना महामारी के कारण सादगी से भगवान राम का जन्मोत्सव भक्तों ने मनाया।
सुनिल पाटिल और सम्राट पाटिल ने कहा कि हिंदू धर्म के मानने वालों के लिए राम नवमी का बड़ा महत्व है। भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिए पूरे जीवन अपार कष्टों को सहा और एक आदर्श नायक के रूप में स्वयं को स्थापित किया। कठिन से कठिन परिस्थितियों में श्रीराम ने धर्म का त्याग नहीं किया और न ही अनीति का वरण किया।
सूरत में श्रीराम मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई। लिंबायत के शिवदर्शन सोसायटी में सांईमंदिर की सालगिरह और रामनवमी पर पूजा-अर्चना की गई। इस वर्ष कोरोना के कारण सादगी से रामनवमी मनाई गई।