MSME के लिए लागू इनकम टैक्स के नए प्रावधान का वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले इन बातों का रखे विशेष ध्यान
1 अप्रैल 2023 से MSME के लिए लागू इनकम टैक्स के नए प्रावधान लागू किए गए हैं। माइक्रो (Micro) तथा स्मॉल (Small) यूनिट से की गई खरीदी/ ख़र्चे का पेमेंट 31 मार्च को बकाया रहने पर बड़ी टैक्स लायबिलिटी आ सकती है। इसलिए अभी से प्लानिंग करे।
1. माइक्रो (Micro) तथा स्मॉल (Small) यूनिट से की गई खरीदी / ख़र्चे का डिडक्शन (ट्रेडिंग-प्रॉफिट/लॉस अकाउंट में डेबिट) तभी मिलेगा यदि उसका पेमेंट सप्लायर से तय किये गये क्रेडिट पीरियड (अधिकतम – 45 दिन) मे कर दिया जाता है|
2. यदि कोई क्रेडिट पीरियड तय नहीं की गई है तो ऐसे केस में पेमेंट की धारा 15 दिन ही मानी जाएगी। दोनों पार्टी यदि सहमत हो तो भी इस प्रावधान के लिए 45 दिन से अधिक का समय मान्य नहीं होगा।
3. उदाहरण के तौर पर यदि आपकी 1 करोड़ की खरीदी (ग्रे फैब्रिक / यार्न / सारीज / पेकिंग मटेरियल / जॉब / अन्य ख़र्चे) का पेमेंट 31 मार्च को 45 दिन से अधिक समय से बाक़ी हैं तो 1 करोड़ आपकी आय में जुड़ जाएँगे और उसपर लगभग 30-35 लाख तक की टैक्स लायबिलिटी आ सकती हैं|
4. माइक्रो (Micro) इंटरप्राइज का अभिप्राय ऐसी फ़र्म से है जिसका Plant And Machinery (एसी/ कम्प्यूटर/ कार/ 2 व्हीलर/ मशीनरी/ अन्य बिजनेस संपत्तियां) में निवेश 1 करोड़ से ज्यादा नहीं हो और टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा नहीं हो|
5. स्मॉल (Small) इंटरप्राइजका अभिप्राय ऐसी फ़र्म से है जिसका Plant and Machinery (एसी/ कम्प्यूटर/ कार/ 2 व्हीलर/ मशीनरी/ अन्य बिजनेस संपत्तियां) में निवेश 10 करोड़ से ज्यादा नहीं हो और टर्नओवर 50 करोड़ से ज्यादा नहीं हो|
6. सूरत में काफ़ी संख्या में फर्म माइक्रो (Micro) तथा स्मॉल (Small) यूनिट की परिभाषा में आते हैं|
7. यदि पेमेंट 45 दिन से अधिक समय से बाक़ी है किंतु वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले पेमेंट कर दिया जाता है तो ऐसे केस में उसका डिडक्शन उसी वर्ष में मिल जायेगा |
8. अगर 45 दिन के बाद पेमेंट किया गया है तो उस स्थिति में जिस वर्ष में पेमेंट किया गया हैं उस वर्ष में उसका डिडक्शन मिलेगा |
9. यदि इंकम टैक्स स्क्रूटिनी के दौरान आयकर विभाग के क्रॉस कन्फर्मेशन से यह पता चलता है की आपका सप्लायर माइक्रो (Micro) तथा स्मॉल (Small) यूनिट है और उसका पेमेंट टाइम लिमिट के बाद में किया है तो वह उस समय भी बकाया पेमेंट को इंकम में जोड़ सकता है।
10. यह प्रावधान 1/04/2023 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष से लागू हो गया है|
11. आप अपने सेल बिल में अपना उद्यम रजिस्ट्रेशन नंबर (MSME नंबर) एवं अपनी कैटेगरी (माइक्रो / स्मॉल / मीडियम) अंकित कर लेवे जिससे ख़रीददार को आपका MSME के स्टेटस का पता चल जाये।
12. ग्रुप फर्म/सिस्टर कंसर्न के पेमेंट भी बकाया रह जाते है, इसलिए इसका भी ध्यान रखे।
( सीए नीतेश अग्रवाल )