मध्यप्रदेश के पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय विभाग द्वारा ‘विश्व धरोहर सप्ताह’ का आयोजन
विभाग तकनीकी दृष्टि से निरंतर अपडेट रहने के लिए कई योजनाएं बना रहा है
मध्यप्रदेश के पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय विभाग ने 19 नवम्बर से 25 नवम्बर तक ‘विश्व धरोहर सप्ताह’ का आयोजन किया। इस अवसर पर 19 नवम्बर को राज्य संग्रहालय, श्यामला हिल्स, भोपाल में एक महत्वपूर्ण व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत एक स्वागत भाषण से हुई, जिसे श्रीमती उर्मिला शुक्ला, आयुक्त – पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय विभाग, मध्यप्रदेश ने दिया। उन्होंने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर किया।
श्रीमती शुक्ला ने अपने संबोधन में मध्यप्रदेश के पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों और पहलों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि विभाग ने सभी संग्रहालयों और धरोहर स्थलों के ब्रोशर और मैन्युअल प्रकाशित किए हैं। इसके अलावा, पुरातत्व स्थल संबंधित सभी किताबों का भी प्रकाशन किया गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि विभाग तकनीकी दृष्टि से निरंतर अपडेट रहने के लिए कई योजनाएं बना रहा है, जिनमें संग्रहालयों का डिजिटलीकरण, व्हाट्सएप के माध्यम से टिकट बुकिंग और 3D कला के अवलोकन जैसी पहलें शामिल हैं। यह कदम संग्रहालयों और धरोहर स्थलों को आधुनिकता की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाने के लिए उठाए गए हैं।
इस कार्यक्रम में तीन प्रमुख विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी:
डॉ. उमाशंकर पचौरी, सूचना आयुक्त
डॉ. राजेंद्र यादव, अधीक्षण पुरातत्व, एएसआई, कोलकाता
डॉ. चेतन्य सक्सेना, सेवानिवृत्त उपसंचालक, पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय
कार्यक्रम में पहले वक्ता के रूप में डॉ. उमाशंकर पचौरी ने पुरातत्व के महत्व पर अपने विचार रखे। उन्होंने आज के समय में पुरातत्व के महत्व को बड़े दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने काफ़ी रोचक कहानी सुनाई और उदाहरण दिए। डॉ. पचौरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुरातत्व केवल इमारतों का अध्ययन नहीं है, बल्कि यह हमारे धरोहर और पहचान का संरक्षण है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस दिशा में सक्रिय रूप से भाग लें और अपनी धरोहर और संस्कृति को सहेजने में योगदान करें।
इसके बाद डॉ. राजेंद्र यादव, अधीक्षण पुरातत्व, एएसआई, कोलकाता ने हमारे पुरातत्व स्थलों के संरक्षण में राज्य सरकारों की भूमिका और जिम्मेदारियों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने भौतिक और अमूर्त धरोहर के बीच अंतर को स्पष्ट किया, ताकि युवा दर्शकों को कुछ नया सीखने और उनकी रुचि बढ़ाने में मदद मिल सके। डॉ. यादव ने एएसआई कोलकाता द्वारा किए गए कार्यों को भी उजागर किया और अपने भाषण का समापन करते हुए युवाओं को अपनी धरोहर पर गर्व करने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम के अंतिम वक्ता डॉ. चेतन्य सक्सेना ने दुनिया के सात अजूबों की तुलना भारत के अपने अद्वितीय स्मारकों से की। उन्होंने कहा कि हम किसी से कम नहीं हैं, भारत के प्रत्येक ऐतिहासिक स्थल और स्मारक दुनिया के सात अजूबों जितने ही महत्वपूर्ण और अद्वितीय हैं।
कार्यक्रम के बाद एक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें भारत के प्राचीन स्मारकों की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं। इसके अलावा, एक भारत के प्राचीन स्मारक प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी हुआ, जिसमें उपस्थित युवाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया और अपनी जानकारी का प्रदर्शन किया।
‘विश्व धरोहर सप्ताह’ के इस आयोजन ने ना केवल मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के महत्व को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे आधुनिक तकनीक के माध्यम से इन धरोहरों का संरक्षण और प्रचार-प्रसार किया जा सकता है।