पार्श्व प्रभु और गुणरत्नसूरिजी की प्रतिमा का काष्टा मंदिर में भव्य प्रवेश उत्सव मनाया
सूरत। वेसु स्थित दीक्षादानेश्वरी संयमतीर्थ महाविदेहधाम में पार्श्वप्रभु की प्रतिष्ठा और गुरुगुण समाधि मंदिर की प्रतिष्ठा के अवसर पर 11 दिवसीय कार्यक्रम के तहत वेराग्यवारिधि आ. श्री कुलचंद्रसूरिजी म. सा आदि 15 से अधिक आचार्य भगवत और 900 से अधिक श्रमण श्रमनी भगवंतो की निश्रा में पार्श्व प्रभु और आ. गुणरत्नसूरिजी म. सा की प्रतिमा का काष्टा मंदिर में भव्य प्रवेश उत्सव मनाया गया। जिसमें लाभार्थी परिवार एवं ट्रस्टियों ने लाभ उठाया। श्री पंचकल्याणक संवेदना का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। पू . पंन्यासप्रवर पद्मदर्शनविजयजी महाराज ने दीक्षा कल्याणक पर संवेदना व्यक्त किया।
यह मंदिर पूरे भारत में पहली बार बर्माटिक नामक लकड़ी से बनाया गया है। यह जिनालय मात्र 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था। इस मंदिर में विराजमान प्रभु पार्श्वनाथ 2300 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। यह विग्रह गांभू तीर्थ से प्राप्त हुआ है। यह प्रभु अत्यंत चमत्कारी महाविदेहधाम श्रमण-श्रमणी भगवंतों को शाता और समाधि की प्राप्ति के उद्देश्य से बनाया गया है। इस समाधि तीर्थ में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। संयमतीर्थ में ज्ञानभंडार, आराधना हॉल, धर्मशाला, मेडिकल सेंटर, पाठशाला, कैंटीन, आयम्बिलशाला, चोविहार हाउस, टिफिन व्यवस्था, ध्यान जैसे विभिन्न संकुल का निर्माण हुआ हैं।
पू . पंन्यासप्रवर पद्मदर्शनविजयजी महाराज ने कहा कि 20 फरवरी को सुबह में गुरु पादुका पूजन और बहनों द्वारा भव्य संगीत के साथ सांजी कार्यक्रम और तीर्थ निर्माण प्रतियोगिता के साथ कल्याणकभूमि की हृदयस्पर्शी भावयात्रा होगी।